When the mouth of EVM is opened, it will be known to whom God in the form of voter is kind: दिल्ली के दंगल में ताल ठोकने वाले पहलवानों की किस्मत ईवीएम में बंद हो गई। अब यह तो आठ फरवरी को जब ईवीएम का मुंह खुलेगा तब ही पता चलेगा की किस पर मतदाता रूपी खुदा मेहरबान होता है और कौन पहलवान साबित होता है?
दिलवालों की दिल्ली के बाशिंदों के दिल में क्या है यह तो वहीं जाने। वैसे उनका दिल जीतने के लिए तीनों ही राजनीतिक दलों ने दरियादिली दिखाई है और मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली घोषणाओं की बरसात कर दी थी। देखना दिलचस्प होगा कि किसके गले में पड़ती है माला और किसका मुंह होता है काला?