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जब एक्टर्स बने शेफ- ये थी उनकी पहली रेसिपी!

When actors became chefs- this was their first recipe!

When actors became chefs- this was their first recipe!

मुंबई। When actors became chefs- this was their first recipe!: वो पल हर किसी को याद रहता है, जब वह पहली बार खाने के लिए नहीं, बल्कि कुछ पकाने के इरादे से रसोई में गए थे। कभी जली हुई रोटियाँ बनीं, तो कभी उम्मीद से बढ़िया सब्ज़ी। खैर डिश जो भी हो, उस पहली कोशिश की हमारे दिल में एक खास जगह होती है। एण्डटीवी के कलाकार भी इससे अछूते नहीं हैं। हाल ही में उन्होंने किचन के अपने उस सुहाने सफर को याद किया और बताया कि उन्होंने पहली बार कौन सी डिश बनाई थी। इन कलाकारों में शामिल हैं – अमित भारद्वाज (‘भीमा‘ के मेवा), गीतांजलि मिश्रा (‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की राजेश) और विदिशा श्रीवास्तव (‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अनीता भाबी)।

अमित भारद्वाज, ऊर्फ ‘भीमा‘ के मेवा ने बताया, ‘‘पहली बार जो डिश मैंने खुद बनायी वो थी दाल खिचड़ी। तब मैं पीजी में रहता था और खाने को कुछ नहीं था। भूखा था तो मम्मी को फोन किया, उन्होंने जो बताया, मैंने नोट कर लिया और फिर धीरे-धीरे अपनी डिश बनायी। पता नहीं मम्मी की माया थी या मेरी शुरुआती किस्मत, पर खिचड़ी अच्छी बन गयी! तभी से ये मेरी फेवरेट कम्फर्ट फूड बन गयी है। यह एक सीधी-सादी, पेट भरने वाली डिश है और मुझे हमेशा किचन का वो पहला पल याद दिलाती है, जब मैंने पहली बार अपने हाथों से खिचड़ी बनाई थी।‘‘

गीतांजलि मिश्रा ऊर्फ ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की राजेश ने कहा, ‘‘मैंने जो पहली डिश बनाई थी, वह थी-आलू टमाटर की सब्जी। मैं उस समय लगभग 13 साल की थी और मैं अपनी मां को सरप्राइज देना चाहती थी। मुझे याद है कि मैंने कितने ध्यान से आलू काटे थे और मम्मी को जो मसाले डालते देखा था, वही सब डाल दिए। मुझे पता ही नहीं चला कि मिर्च ज्यादा पड़ गई है, और पूरा परिवार रात के खाने में खूब पानी पीता रहा! (हँसते हुए)। लेकिन सबने मेरी मेहनत की तारीफ की। वो सब्ज़ी, चाहे जितनी तीखी रही हो, वहीं से कुकिंग के प्रति मेरा प्यार शुरू हुआ। अब तो मुझे खाना बनाना बहुत सुकून देने वाला लगता है।‘‘ विदिशा श्रीवास्तव, यानी ‘

भाबीजी घर पर हैं’ की अनीता भाबी, बताती हैं, ‘‘सबसे पहली बार मैंने सूजी का हलवा बनाया था। मैं उस वक्त कॉलेज में थी और अचानक मीठा खाने का मन हुआ। खाना बनाने का ज्यादा तजुर्बा नहीं था, लेकिन दादी को कई बार हलवा बनाते देखा था, तो सोचा चलो ट्राई करते हैं। पहली बार हलका सा जल गया था, लेकिन उस खुशबू और मेहनत में जो अपनापन था, वो खास था। अब तो मैं हलवे की एक्सपर्ट हो गई हूं, लेकिन जब भी बनाती हूं, वो पहली बार की झिझक और खुशी याद आ जाती है। वहीं से मेरा किचन का सफर शुरू हुआ था।”

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