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आज बेबाक : कैसी विडंबना है, जय हो लोकतंत्र की

What an irony, Jai to democracy!

Jai to democracy!

Jai to democracy!: कैसी विडंबना है कि यदि कोई व्यक्ति विचाराधीन बंदी के रूप में भी जेल में निरूद्ध है तो वह मतदान नहीं कर सकता।

वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार ही नहीं बल्कि आतंकवाद के आरोप में भी कोई जेल में बंद हो तो वह चुनाव लड़ सकता है। चुनाव जीतकर माननीय बन सकता है।

यही नहीं बल्कि वह चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत का अधिकारी भी बन सकता है। आतंकवादियों को फंडिग़ करने के आरोप में गिरफ्तार इंजीनियर राशिद जेल में रहते चुनाव जीत गया और अब चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत पर छूट भी गया। जय हो लोकतंत्र की।

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