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Wet Cloth Electricity : गीले कपड़े से बनाई बिजली, पढ़ें देश में किसने और कैसे किया ये काम

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नई दिल्ली/ए.। गीले कपड़े (wet cloth electricity) से एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर ने बिजली बनाई है। गीला कपड़ा विद्युत का वाहक होता है। इसी थ्योरी पर काम करते हुए इलेक्ट्रिकल इंजीनियर ने गीले कपड़े (wet cloth electricity) से बिजली बनाई है।

प्रोयागिक तौर पर बनाई गई इस बिजली से मोबाइल फोन के अलावार कुछ चिकित्सकीय उपकरण भी चल सकते हैं। इस प्रयोग की राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा हो रही है। इस इलेक्ट्रिकल इंजीनियर का नाम शंख शुभ्र दास है। उन्हें इसी महीने केंद्र सरकार ने गांधीवादी युवा प्रौद्योगिकी अभिनव पुरस्कार से सम्मानित किया है।

ऐसे बनाई बिजली

शंख शुभ्र दास त्रिपुरा के सिपाहीजाल जिले के बांग्लादेश सीमा पर खेडाबारी गांव के निवासी हैं। दास ने कैपिलरी एक्शन व पानी के वाष्पीकरण तत्व को अपनी खोज का आधार बनाया। इस प्रयोग के लिए दास ने एक कपड़े को ऐसे काटा कि वह प्लास्टिक के स्ट्रा में डाल दिया जाए। इसके बाद एक कंटेनर में पानी भरकर उसम स्ट्राका दूसरा छोर रख दिया। इसके अलावा उन्होंने तांबे के दो इलेक्ट्रोड स्ट्रा के दोनों छोर पर जोड़ दिया, ताकि वोल्टेज मिल सके।

कैपिलेरी एक्शन के कारण इस प्रयोग से 700 मिलीग्राम वोल्टेज रिकॉर्ड किया गया। लेकिन इतनी ऊर्जा से विद्युत उपकरण चार्ज करना संभव नहीं था। इसलिए दास व उनकी टीम ने इस प्रयोग में करीब 30-40 उपकरण और जोड़कर विद्युत उत्पादन करने का निश्चय किया।

मोबाइल फोन हो सकता है चार्ज

इस प्रयोग से 12 वोल्टेज बिजली निर्मित की जा सकती, जो मोबाइल फोन, एलईडी बल्ब, हिमोग्लोबिन व ग्लूकोज जांच किट इत्यादी उपकरण चार्ज कर सकती है।

इसलिए मिला पुरस्कार

केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन के हाथों दास को गांधीवादी युवा प्रौद्योगिकी अभिनव पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मंत्री ने कहा कि यह दुर्गम ग्रामीण भाग में बिजली उत्पादन साधनों की शोध करने के उद्देश्य से लाया गया एक अनुदानित संशोधन प्रकल्प है। इसमें ऐसे साधन खोजने थे जो कम वजन के हल्के, सस्ते व टिकाऊ होकर जिनसे आसानी से बिजली निर्मित की जा सकती है।

दास के प्रयोग पर आधारित डिजाइन बनाने की तैयारी

दास के प्रयोग के बाद अब बायोटेक व बायोसाइंस के विशेषज्ञ मैकेनिकल इंजीनियर इस दिशा में एक अच्छे व टिकाऊ उपकरण की डिजाइन बनाने पर विचार कर रहे हैं। दास ने आईआईटीन खडग़पुर से पीएचडी की है। सालभर पहले गीले कपड़े (wet cloth electricity) से बिजली बनाने का कुछ ऐसा ही प्रयोग आईआईटी खडग़पुर में भी हुआ था।

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