Weekly Column By Sukant Rajput : दैनिक नवप्रदेश में सुकांत राजपूत द्वारा इस साप्ताहिक स्तंभ बातों…बातों में देश से लेकर प्रदेश तक के सियासी और नौकरशाही से ताल्लुक रखती वो बातें हैं जिसे अलहदा अंदाज़ में सिर्फ मुस्कुराने के लिए पेश किया जा रहा है।
बिरजू की बिदाई…
हम यहां पुरुस्कृत हिंदी फिल्म ‘मदर इंडिया’ के बिरजू की नहीं बलकि रायपुर दक्षिण विधानसभा के मतदाताओं के प्यारे बिरजू…या मोहन की कर रहे हैं। रायपुर लोकसभा हो या फिर रायपुर की कोई विधानसभा उन्हें फ़िलहाल हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन माना जाता है। इसकी भनक लोकसभा चुनाव में मिले रिकार्ड वोट के बाद दोस्त और दुश्मन सभी को लग चुकी है। चार दशक से उनका लोगों से लगाव और सभी पुराने लोगों तक उनकी घुसपैठ के बाद यूं अचानक बिरजू की बिदाई से वोटर्स खासे दुखी हैं। दुखी तो खुद बिरजू-मोहन भी हैं। आखिर सब कुछ ठीक चल रहा था…फिर क्यों उन्हें ही उनके लोगों से दूर किया गया। विधायक चुनाव जीते मंत्री भी बनाकर बिठा दिए गए थे…फिर ऐसा क्या हो गया कि पूर्व सांसद सुनील सोनी या और किसी को टिकिट देने के बदले जमे-जमाये बैठे-बिठाये भइया को ही लड़ाया गया..? लड़े भी और ऐतिहासिक मतों से जीते भी फिर क्यों बिदाई सुनिश्चित की गई..? खैर भैया को सारा गणित समझने का भरपूर खली वक्त मिलेगा।
समधियाना टूटा…
रायपुर दक्षिण विधानसभा के बीजेपी के अजेय किला को पार्टी संगठन ने एक तरह से नेस्तनाबूद कर दिया है। खबर यह है कि भइया के परिवार के किसी सदस्य को भी इस अभेद्य विधानसभा सीट से टिकिट मिलना मुश्किल है। बेटा या भाई ना सहीं कम से कम बिरजू भइया की पसंद का तो भाजपा संगठन को ख्याल रखना ही होगा…नहीं तो दक्षिण उपचुनाव में गई भैंस पानी में वाली नौबत होगी। वैसे कांग्रेस के एक युवा नेता हमेशा से दक्षिण में भइया के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ने का इंट्रेस्ट दिखा चुके थे। कांग्रेस नेताओं में हालांकि दक्षिण में उनकी भी मजबूत स्थिति मानी जाती है। फिर भी उनके इंकार की वजह पार्टी नेताओं में चंद लोगों को ही मालूम थी। अब उन्हीं नेताओं ने कहा कि रायपुर दक्षिण विधानसभा से इस बार उपचुनाव में लड़ने के लिए युवा कांग्रेस नेता बेक़रार हैं…वजह शायद काम लोगों को ही पता है। बताने वाले तो यह भी कहते हैं अगर बिरजू भैया भी लड़ेंगे तो भी कांग्रेस नेता लड़ेगा…आखिरकार समधियाना जो टूट गया है…!
रेणुका या लता…
भाजपा संगठन के पके पीर शायद यह जानते थे कि छत्तीसगढ़ में ऐतिहासिक सीटें जीतकर सरकार बनाने वाली कांग्रेस को पटखनी कैसे देना है। इसी का नतीजा है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को उखाड़ फेंकने के साथ ही लोकसभा चुनाव को भी ध्यान में रखकर वर्ग, संवर्ग और नयों को मौका दिया गया। लेकिन भाग्य से मिले घी को पचाना हर किसी के बस की बात नहीं। यह तो जनता, अफसर और पार्टी भी जान गई है। नतीजतन पुरानो के दिन बहुरने वाले हैं। खबर है कि पूर्व सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह के अलावा पूर्व महिला बाल विकास मंत्री लता उसेंडी में से किसी को मंत्री बनाया जा सकता है। वैसे इन दोनों में से किसी एक को मंत्री पद मिलेगा तो खतरा लक्ष्मी रजवाड़े के लिए बढ़ना स्वाभाविक है। भाजपा संगठन के पुराने चांवल कहलाने वाले नेता शायद निगम, मंडल, आयोग देकर भी ईगो सेटिस्फाइड कर सकते है। वो कहावत है न जो आया है तो उसे जाना ही पड़ता है…अगर कोई जाने लायक काम करेगा तो विदाई भी तय है।
खतरे में हैं चार…
बीजेपी को थोक में कामयाबी तो मिली। लेकिन सफलता के साथ पार्टी नेता चुनौतियां भी बन बैठे हैं। जिन्हें नया और युवा मानकर मौका दिया गया वो हड़बड़ी में कई गड़बड़ियां कर चुके हैं। चंद महीने में जिन विभागों के मंत्रियों पर उंगलियां उठने लगी ऐसों की विदाई सुनिश्चित है। वो तो लोकसभा तक संगठन खामोश था। आरोपों, कारगुजारियों, कार्यशैली को लेकर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक खबर है। फ़िलहाल चार मंत्रियों पर खतरे की शमशीर लटकी हुई है। बातों ही बातों में पार्टी के ‘हरिराम’ ने कहा…कुछ को लालच ने तो तीन वजीरों को आदतों ने कटघरे में खड़ा कर दिया है। उनके सबूत देने वाले भी पार्टी के वो दिग्गज हैं जिनकी अनदेखी पार्टी ने की। खैर, सियासत में खो-खो खेलने का यह तरीका पुराना और कारगर तो है। अगर बदलाव फिर भी नहीं किया गया तो ज्यादा से ज्यादा क्या होगा…? मिडिया, सदन या फिर विपक्ष को मुद्दे प्लांट करना कोई मुश्किल काम थोड़े न है फिरोज भाई !
वेटिंग इन फाइव…
एका एक ही बिलासपुर की सियासी वजनदारी बढ़ गई है। सूबे से लेकर दिल्ली में बिलासपुर की आवाज़ गूंजेगी। क्योंकि डिप्टी सीएम अरुण साव और उनके रिश्ते में भाई तोखन साहू को मोदी मंत्रिमंडल में जगह जो मिल गई है। बहुत ही जल्द बीजेपी के पांच दिग्गज विधायक भी मंत्री बनने बेक़रार हैं। सभी बदलाव भी चाहते हैं अपनी जगह बनाने में जुट भी गए हैं। क्योंकि 4 मंत्री का रिपोर्ट कार्ड और बिरजू भइया की बिदाई के बाद उनके रिक्त स्थान की पूर्ति करने वाले अमर, धरम, अजय, राजेश, पुन्नू, लता और रेणुका के भाग में छींका फूटना तय माना जा रहा है। इसी तरह धर्मजीत सिंह को भी निगम, मंडल आयोग का कोई मलाईदार पद दिया जा सकता है। बातों ही बातों में अंदर खाने के खबरि ने बताया कि आज निर्जला एकादशी भी है और सभी विष्णु को प्रसन्न करने एकादशी व्रत भी कर रहे हैं।