Weekly Column By Sukant Rajput : दैनिक नवप्रदेश में सुकांत राजपूत द्वारा इस साप्ताहिक स्तंभ बातों…बातों में देश से लेकर प्रदेश तक के सियासी और नौकरशाही से ताल्लुक रखती वो बातें हैं, अलहदा अंदाज़ में सिर्फ मुस्कुराने के लिए पेश है।
मिले सुर मेरा तुम्हारा…
लोकसभा से विधानसभा तक में कांग्रेस और भाजपा नेता के बीच सुर कुछ ज्यादा ही बेसुरे हैं। तल्ख टिप्पणी, जहर बुझे शब्दबाण और एक-दूसरे को सियासी पटखनी देने तत्पर नेताओं की दुश्मनी जब खानदानी बन गई है। ऐसे में राजधानी रायपुर में स्वतंत्रता दिवस की संध्या पर दोनों ही दलों के दिग्गजों की एक कार्यक्रम में उपस्थिति वाला बैनर-पोस्टर चर्चा का विषय है। नगर निगम रायपुर के संस्कृति विभाग द्वारा प्रदेश की भाजपा सरकार के दिग्गज और सरकार के धुरविरोधी कांग्रेसी नेताओं की तस्वीर वाला पोस्टर जारी किया गया है। अचानक निगम के संस्कृति विभाग अध्यक्ष आकाश तिवारी से लेकर महापौर एजाज ढेबर और सभापति प्रमोद दुबे की फोटो के साथ मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, बीजेपी विधायकों की भी फोटो जलवा अफरोज है। अचानक इस तरह चौंकाने वाला मन बदल कार्यक्रम पर बातों ही बातों में नेता गाने लगे हैं… मिले सुर मेरा तुम्हारा… तो सुर बने हमारा !
सांय..सांय कर रहे नौकरी…
संवेदनशील साय के सुशासन में महतारी, बहनें, नोनी, किसान और मजदूर भाई के लिए योजना का लाभ सांय-सांय मिल रहा है, लेकिन एक महत्वपूर्ण धड़ा शासकीय कर्मचारी-अधिकारियों का भी है जो थोड़े गमगीन हैं। खासकर युवा वर्ग के लोगों को पदोन्नति, पदस्थापना की तड़प है और उनकी राह में फर्जी जाति प्रमाण पत्र वाले रोड़ा बने हुए हैं। बता दें कि ऐसे फर्जी लोगों के लिए उच्चस्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति को वर्ष 2000 से 2020 तक कुल 758 केस में 659 मामलों को निराकृत कर दिया गया। 267 प्रकरणों में जाति फर्जी पाई गई। इनमें से भी ज्यादातर मामले हाईकोर्ट में विचाराधीन है और कथित फर्जी शासकीय सेवक 2 साल से अब भी सांय-सांय अपनी नौकरी भी कर रहे हैं, प्रमोशन भी पा रहे हैं और कई तो सेवानिवृत्त भी होने वाले हैं। स्थगन आदेश के बाद से ही बेखौफ संदिग्धों को काम करता देखकर अब युवा मातहत हीन भावना महसूस करने लगे हैं।
रवानगी से पहले विदाई पार्टी…
पहले उम्मीद और भरोसा जताकर चने के झाड़ में चढ़ाना फिर उतनी ही रफ्तार से गिराना नौकरशाही में आम बात है। इस बार जिस उम्मीदों से रेंज के साथ ईओडब्ल्यू और एसीबी की भी कमान जिन्हें सौंपी गई थी अब उन्हें ही एक जिम्मेदारी से मुक्त होने के लिए मौखिक फरमान सुनाया जा चुका है। देखना यह है कि सरकार रेंज में कार्यशैली को लेकर खफा हैं या ईओडब्ल्यू-एसीबी में मनमाफिक कार्रवाई में नाकामी से नाराज हैं? खैर, वजह जो भी हो जिस जिम्मेदारी से निजात मिलेगी समझ आ जायेगा, लेकिन बात मिथिला नरेश की हो रही है और अघोरपंथ से वे बेहतर वाकिफ भी हैं इसलिए अपनी रवानगी से पहले ही रायपुर आउटर की एक सितारा होटल में वैट पार्टी देकर जता दिया कि उन्हें ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। बातों ही बातों में पता चला कि सावन के महीने में वैट वालों के साथ ड्राय लोगों को भी वह सब परोसा गया जो इस माह वर्जित है। वैसे भी शिव का एक स्वरुप अघोरपंथ भी बहुत मानता है, इसलिए साहब को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता।
अशोक भारी कि अरुण-पवन…
राज्य सरकार ने नए डीजीपी के नामों का पैनल यूपीएससी को अब तक नहीं भेजा है। अशोक जुनेजा का कार्यकाल 4 अगस्त को समाप्त हो रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि 1989 बैच के आईपीएस श्री जुनेजा अभी अपने पद पर बने रहेंगे। बता दें कि छत्तीसगढ़ में डीजीपी और डीजी का एक काडर और 2 एक्स काडर पद है। राज्य में अशोक जुनेजा के अतिरिक्त डीजी पद का कोई दूसरा अफसर भी नहीं था। एडीजी से डीजी पद पर पदोन्नति के लिए डीपीसी में अरुण देव गौतम और हिमांशु गुप्ता के अलावा पवन देव भी हैं। वरिष्ठता के आधार पर पवन देव का नाम अरुणदेव-हिमांशु गुप्ता से पहले रहेगा। वैसे भी अब इस पद पर जोर-आजमाइश पूरे शबाब पर है। बातों ही बातों में पीएचक्यू में चर्चा है कि अगर कार्यकाल बढ़ा तो समझो राजनाथ हैं… नहीं बढ़ा और अरुण, तो भी समझा जा सकता है मोदी-03 में सीधी पकड़ है और पवन का बिहार कनेक्शन भी किसी से कमतर नहीं है।