Weekly Column By Sukant Rajput : दैनिक नवप्रदेश में सुकांत राजपूत द्वारा इस साप्ताहिक स्तंभ बातों…बातों में देश से लेकर प्रदेश तक के सियासी और नौकरशाही से ताल्लुक रखती वो बातें हैं जिसे अलहदा अंदाज़ में सिर्फ मुस्कुराने के लिए पेश किया जा रहा है।
चिटफंड की जेल पेशी…
आमतौर पर किसी गरीब या छोटे आरोपी की मुजरिम पेशी ड्यूटी से बचने वाला पुलिस लाइन स्टाफ चिटफंड के आरोपियों और अन्य मालदार मुजरिमों के लिए पलक-पावड़े बिछाये रहता है। डेयरी आयटम और चिटफंड कंपनी एसबीएन के सरदार जी की जेल पेशी के लिए लाइन स्टाफ के मुंह से एक दिन पूर्व ही लार चुचवाने लगती है। ड्यूटी से बचने वालों की इस खासियत का अंदाज़ ‘निजात’ कार्यक्रम वाले साहब और पुलिस लाइन आरआई-डीएसपी को भी है। खासकर दिल्ली समेत बाहरी राज्यों में भी कोर्ट पेशी के लिए एसबीएन वाले को ले जाने होड़ मच जाती है। नाराज़ खाखी वाले ने साकी के लय में बातों ही बातों में सब कुछ उगल दिया। उसकी पारी एसबीएन वाले के लिए कभी नहीं लगी। निजात कार्यक्रम से अनजान साकीबाज़ खाखी ने कहा कि एक पेशी में ही ड्यूटी में तैनात लड़कों को सिर्फ मोबाइल में बात करवाने का 15 तो लजीज खाना खिलवाने का 2 और नजर बचाकर बंद कमरे में मनचाही मुलाकात का मुंह मांगा कमा रहे हैं लड़के। साहबजनों महकमे को ऐसे लोगों से भी ‘निजात’ दिलाने का कोई मास्टर प्लान लागु करना चाहिए।
किस्सा-ऐ-अनवर भाई…
खासी मशक्कत के बाद हाईकोर्ट से ऐन त्यौहार में रहत मिली थी। भाई जान को बकरईद के दिन घर लाने के लिए भाई, बेटे सभी बेक़रार थे। लेकिन जेल में आदेश नामालूम कारणों से देरी से पहुंचा। जिस दिन पहुंचा और रिहाई की तैयारी चल ही रही थी की उत्तर प्रदेश पुलिस और एसटीएफ ने सारा मज़ा किरकिरा कर दिया। हालांकि दोनों चश्मों चिराग ने हमेशा की तरह इसके लिए तैयारी करके आये थे लेकिन योगी की पुलिस टस से मस नहीं हुई। मजबूरन मेडिकल ग्राउंड के लिए जेल से लेकर अस्पताल तक सेटल कर दिया गया था। बच्चों की गाड़ी में बैग भी रखा था लेकिन सारा खेल मेकाहारा और चिकित्सा जांच अधिकारी को एक प्रधान आरक्षक की इमानदारी और जागरूकता ने मेरठ रवानगी में काम आया। अनवर की आंत में धनिया दाने सा मस्सा है और उस बिना पर सब मेडिकल ग्राउंड की आड़ में रोकने की फ़िराक में थे। योजना के नाकाम होने पर छोटा वाला इतना खफा हुआ कि हवलदार को हिंदी और अंग्रेजी पड़ने-समझने की चुनौती देकर उलझ पड़ा। जब चिकित्सक ने अंग्रेजी में बताया कि छोटा सा मस्सा है ऑपरेशन की जरुरत नहीं ले जाया जा सकता है तब अंग्रेजियत खामोश और हिंदी जिंदाबाद हो गई। योगी पुलिस पर अब सारा दारोमदार है कि भाई जान को कैसे स्वस्थ्य रखना है।
धुरंधर निकले पुरंदर…
रायपुर उत्तर विधानसभा से उम्मीद से परे भाजपा की टिकिट हासिल कर के सब को चौंका देने के बाद पुरंदर ने दूसरी बार फिर संभावित मंत्री पद के दावेदार बनकर हतप्रभ कर दिया है। राज्यपाल से बंद कमरे में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की चर्चा के बीच गवर्नर हॉउस में उसी वक्त पुरंदर भी जलवा अफ़रोज़ थे। वैसे उनका राज्यपाल से विशेष लगाव किसी से छुपा नहीं है। प्रदेश से लेकर देश के दोनों महामहिम भी महाप्रभु जगन्नाथ पर आस्था रखते हैं। रायपुर उत्तर विधायक पुरंदर मिश्रा भी ओडिशा के ही हैं और रायपुर में विशाल जगन्नाथ मंदिर करने से लेकर महाप्रभु की यात्रा और प्रसाद खिलाकर दिलों में राज कर रहे हैं। हालांकि गवर्नर-चीफ मिनिस्टर की मंत्रिमंडल में नए मंत्रियों के नाम और शपथ ग्रहण को लेकर जब गंभीर मंत्रणा चल रही थी तब पुरंदर मिश्रा प्रसाद और जगन्नाथ यात्रा की दावत देने राजभवन में मौजूद थे। महाप्रभु का चमत्कार ही है टिकिट वितरण से पूर्व भी और विधायक बनने के बाद भी जब मंत्रिमंडल में नए नामों को लेकर कवायद चल रही है तो राजभवन से लेकर राष्ट्रपति भवन तक भक्त नजर आते हैं।
विभाग में भी ‘निजात’….
राजधानी पुलिस का नशे के खिलाफ छेड़ा गया ‘निजात’ महत्वपूर्ण अभियान है। इसमें संदेह नहीं कि यह अपना असर शहर में दिखा भी रहा है। लेकिन दिया तले अंधेरा है। इसका अंदाज साहब को भी है और साहब की हिदायत भी मातहतों को कंठस्थ है। लेकिन हर थाने के एक-दो ऐसे दिये हैं जो नशे को ना नहीं कर पा रहे। देखा जाये तो यह एक तरह से अभियान को मुंह चिढ़ाते वर्दी में भट्टी के आसपास दिखकर अभियान का मज़ाक बना रहे हैं। खासकर कटोरा तालाब शराब दुकान के पास वाली गलियों में खाखी सुबह से रात तक देखे जा सकते हैं। कवर्धा बाड़ा वाली गलियों में खुलेआम गटकते दिख रहे हैं। कमोबेश यही हालात नाईट गश्त और पेट्रोलिंग का है। पुलिस लाइन मैदान और तालाब वाला इलाका तो पहले से अड्डा था। ऐसे में साहब जल्द ही ऐसों से महकमे को निजात दिलाने ख़ुफ़िया अभियान चलाएंगे ?