Weekly Column By Sukant Rajput : हॉउस में रसूखदारों को भी ना… भूपेश से मिलने पहुंचे…हर एक के पास 'देवराज'…

Weekly Column By Sukant Rajput : हॉउस में रसूखदारों को भी ना… भूपेश से मिलने पहुंचे…हर एक के पास ‘देवराज’…

Weekly Column By Sukant Rajput :

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Weekly Column By Sukant Rajput : दैनिक नवप्रदेश में सुकांत राजपूत द्वारा इस साप्ताहिक स्तंभ बातों…बातों में देश से लेकर प्रदेश तक के सियासी और नौकरशाही से ताल्लुक रखती वो बातें हैं जिसे अलहदा अंदाज़ में सिर्फ मुस्कुराने के लिए पेश है।

हर एक के पास ‘देवराज’…

हर एक के पास उनका मुंह लगा देवराज होता है। अब तो एकमात्र देवराज और जहांगीर आलम जैसे नौकर-चाकर ही हैं जो वफादार भी है और फर्माबरदार भी। रांची में मंत्री आलमगीर आलम के पीए संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम के यहां से 25 करोड़ रुपए ईडी को मिले थे। मंत्री के पीए की जूठन उठाने वाले नौकर जहांगीर आलम की यह हैसियत तो फिर ड्राइवर ‘देवराज की हैसियत-हिम्मत का अंदाजा ही लगाया जा सकता है। बातों ही बातों में कांग्रेस के दबंग नेता के भरोसेमंद ‘सारथी’ की हिमाकत का एक किस्सा सामने आ गया। हालांकि मामला लोकसभा चुनाव के वक्त का है और घटना रायबरेली की। पैसों की कोई कमी नहीं और ताकत से लबरेज देवराज साथियों के साथ जमकर जाम छलकाया और जब गिलास भी सम्हालना मुश्किल हुआ, तो जिस होटल में उनका नेता रुका था उसी कमरे में जा घुसा। बाहर संतरी भी बेसुध था और बिस्तर पर गहरी नींद में सुर्खाब के पर लगाकर नेता जी बिंदास लमलेट थे। बस देवराज भी उनके साथ एक ही रजाई में जा घुसा। जरा ठंड लगी तो अपने नेता की रजाई भी पूरी खींच ली। गनीमत था कि नशा फटा तो माजरा समझते ही कमरे से उठकर नौ दो ग्यारह हो ड्राइवर बिरादरी के साथ सो गया, लेकिन नेता जी जब उठे तो उनके होश उड़ गए, बिस्तर में देवराज का तौलिया देखकर… बस फिर क्या था माजरा, नजारा और मामला स्टाफ के लिए हर एंगल से चटकारेदार किस्सा बन गया।

सत्र के बाद दो मंत्री तो गियो…

कुर्सी के लिए बेकरार दो बीजेपी विधायक के लिए खुशखबरी है। उनका इंतजार जल्द खत्म होने वाला है और उनकी मुराद भी पूरी हो जाएगी। फिलहाल सत्र के बाद ही साय सरकार के दो पुराने मंत्रियों की बिदाई और दो नए की अगुवानी होने वाली है। बातों ही बातों में हॉउस के एक करीबी ने दावा किया है कि सबसे पहले राजस्व और महिला बाल विकास विभाग से रवानगी तय है। इसका सीधा मतलब है कि खट्टर ने जब महिला विधायक को मंत्री कह दिया था उस वक्त उनकी जुबान में सरस्वती वास कर रही थी। राजस्व ऐसा पेचीदा विभाग है जिसमें किसी अत्यधिक ज्ञानचंद जैसा विधायक और किसी तेजतर्राट मंत्री के पीए जैसी नियमों की जानकारी हो। ऐसे में सभी कुरुद के दाऊ को ही इसके लिए सहीं दावेदार मानते हैं। अगर ऐसा है भी तो सवाल उठना लाजमी है… धरम, अमर, राजेश का फिर क्या होगा..?

हॉउस में रसूखदारों को भी ना…

छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत प्रमोद जोगी के कार्यकाल में सीएम हॉउस में मोबाइल पर कोई खास पाबंदी नहीं थी। फिर आया रमन राज तो पहले कालखंड तक सबकुछ सरल और सहज था, दूसरे कालखंड में जरा सी सख्ती थी, लेकिन कम से कम साइलेंट मोड में खास लोग रखते थे। तीसरे में तो डॉक्टर साहब जैसे सरल, सहज को चुनिंदा लोगों ने सब से दूर कर दिया और मुलाकातियों को भी महसूस होने लगा था कि शुक्र है वो इंसान हैं कोई मोबाइल नहीं..! इस बार गरीब, किसान, आदिवासी और सबसे सरल मुख्यमंत्री जनता को मिला है। पहनावे से लेकर बोलचाल में भी उनकी सरलता दिखती है, लेकिन हाल ही में सुरक्षा में तैनात स्टाफ मोबाइल से सख्त गुरेज कर रहा है। फिर चाहे वो बीते कार्यकाल के कितने भी करीबी हो सभी का मोबाइल ले लिया जाता है। हॉउस में सिर्फ साहब के दो करीबी स्टाफ ही मोबाइल रखते हैं। एक दिल्ली से साथ काम देख रहे भाई और दूसरे गृहक्षेत्र के सबसे भरोसेमंद साथी। खैर सुरक्षा के लिए यह जरुरी है, लेकिन हाल ही में एक रसूखदार का भी मोबाइल जमा करने के बाद यह चर्चा आम है।

भूपेश से मिलने पहुंचे भगत…

भूपेश जब ‘सरकार’ में थे तब भी सबसे आसान था उनसे मिलना, लेकिन अब उनसे मुलाकात करना उतना आसान नहीं। खासकर फस्र्ट हाफ में उनकी दिनचर्या सरकार जाने के बाद अब ज्यादा मसरूफियत भरी है। एक वो भी वक्त था जब अमरजीत भगत उनके सबसे करीबी, चेहते और क्या-क्या बन गए थे हमारे पास शब्द भी नहीं। सरगुजा पैलेस से दूर होकर पाटन हॉउस के करीब आने के बाद मंत्री पद से नवाजने वाले भूपेश से भगत नहीं मिल पाए। हाल ही में पूर्व मंत्री अमरजीत भगत भूपेश दाऊ से मिलने पहुंच गए। अंदर से खबर आई कि बैठने बोले हैं, भगत बैठे भी और ऐसे बैठना पड़ा कि बैठे-बैठे झुनझुनी चढ़ गई। उनको करीब दो घंटे से ज्यादा देर तक इंतजार करने के बाद भगत बिना मिले ही चले गए। खैर ऐसा क्यों और कैसे हुआ यह समीक्षा का विषय है, लेकिन एक बंगला स्टाफ ने बताया कि दाऊ जी योग, फिटनेस, स्नान फिर पूजा-पाठ खूब करने लगे हैं। हमने पूछा किसकी पूजा करते हैं.. तो खुलासा हुआ स्नान करके दाऊ जी सीधे पूजा कक्ष में जाते हैं और शिवलिंग को स्नान कराकर करीब एक घंटे पूजा करते हैं। वैसे भी दाऊ जब सरकार में नहीं थे तब भी उनके जानने वालों को पता है घर में वे जब तक अपना योग, स्नान, पूजा और फिर आराम से नाश्ता नहीं कर लेते तब तक इतनी आसानी से मिलने की जल्दी नहीं करते। वैसे भी भगत कोई राहुल, सोनिया या प्रियंका थोड़े न हैं…!

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