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Vote Deletion : राहुल गांधी का हाइड्रोजन बम…! प्रजेंटेशन में बड़ा दावा, स्टेज पर बुलाए गए वो वोटर जिनके नाम लिस्ट से गायब

Vote Deletion

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Vote Deletion : कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को ‘वोट चोरी’ पर दूसरी बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इससे पहले उन्होंने 7 अगस्त को मीडिया से बात की थी। राहुल ने 31 मिनट के प्रजेंटेशन (Vote Deletion) में वोट चोरी के गंभीर आरोप लगाए और सबूत दिखाने का दावा किया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग जानबूझकर कांग्रेस के वोटर्स को निशाना बना रहा है और उनके नाम डिलीट कर रहा है। इस बार राहुल अपने साथ कर्नाटक के ऐसे वोटर्स को भी लेकर आए, जिनके नाम वोटर लिस्ट से गायब कर दिए गए थे।

उन्होंने आरोप लगाया कि भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार उन लोगों की रक्षा कर रहे हैं, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र को बर्बाद कर दिया है। राहुल ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र, हरियाणा और यूपी में भी यही पैटर्न दिख रहा है। चुनाव आयोग ने राहुल के आरोपों को गलत और निराधार बताया और कहा कि कोई भी नागरिक अकेले किसी का वोट ऑनलाइन डिलीट नहीं कर सकता।

राहुल ने 4 बड़े आरोप…

राहुल गांधी ने कहा कि ‘कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र में 2023 के चुनाव में किसी ने 6,018 वोट डिलीट करने की कोशिश की। असल संख्या और भी अधिक हो सकती है। मामला गलती से पकड़ में आया।’ उन्होंने बताया कि यह सिर्फ कर्नाटक नहीं बल्कि संगठित ढंग से पूरे देश में (Vote Deletion) का हिस्सा है।

12 लोगों का नाम हटाने का आरोप

प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल ने 63 वर्षीय गोदावाई का वीडियो दिखाया, जिसमें उन्होंने कहा– “मेरा वोट डिलीट कर दिया गया, मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं।” उनके नाम से फेक लॉगिन बनाया गया और 12 वोटर्स के नाम हटाए गए। राहुल ने आरोप लगाया कि यह सुनियोजित (Vote Deletion) है।

मोबाइल नंबर्स जिनका इस्तेमाल वोटर्स को हटाने के लिए हुआ

राहुल ने दावा किया कि आलंद में जिन वोटर्स के नाम डिलीट किए गए, उन्हें हटाने के लिए अन्य राज्यों में एक्टिव मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया गया। प्रजेंटेशन में राहुल ने उन मोबाइल नंबरों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इन नंबरों से गोदावाई और उनके 12 पड़ोसियों के नाम काटे गए। इस तरह (Vote Deletion) नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ।

चुनाव आयोग को 18 बार रिमाइंडर लेटर्स भेजे

राहुल ने कहा कि कर्नाटक CID ने चुनाव आयोग को 18 महीनों में 18 पत्र भेजे। इनमें तीन बातें स्पष्ट रूप से मांगी गईं—पहला, डेस्टिनेशन IP; दूसरा, डिवाइस डेस्टिनेशन पोर्ट; और तीसरा, OTP ट्रेल। लेकिन चुनाव आयोग ने किसी का जवाब नहीं दिया। राहुल ने आरोप लगाया कि इससे साफ है कि आयोग के अंदर से मदद मिल रही है और (Vote Deletion) की साजिश छुपाई जा रही है।

बूथ के पहले वोटर को सॉफ्टवेयर के जरिए डिलीट किया गया

राहुल ने उदाहरण देते हुए कहा– “इन सीरियल नंबर को देखिए, हर जगह नंबर वन है। इसका मतलब यह है कि बूथ का पहला वोटर चुना गया और उसे डिलीट किया गया। सॉफ्टवेयर प्रोग्राम कह रहा है कि सीरियल नंबर 1 को निकालो और उसकी ओर से डिलीट करो।” उन्होंने कहा कि सेंट्रलाइज्ड सिस्टम से नाम हटाने का यही सबसे बड़ा सबूत है। यह तरीका सीधे–सीधे संगठित (Vote Deletion) को दर्शाता है।

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