Vocal for Local Vision : 'वन स्टेशन वन प्रोडक्ट'...देश के 728 रेलवे स्टेशनों में स्थानीय उत्पादों की बिक्री

Vocal for Local Vision : ‘वन स्टेशन वन प्रोडक्ट’…देश के 728 रेलवे स्टेशनों में स्थानीय उत्पादों की बिक्री

Vocal for Local Vision: 'One Station One Product'...Sale of local products in 728 railway stations of the country

Vocal for Local Vision

रायपुर/नवप्रदेश। Vocal for Local Vision : रेल मंत्रालय ने भारत सरकार के ‘वोकल फॉर लोकल’ विजन को बढ़ावा देने, स्थानीय/स्वदेशी उत्पादों के लिए एक बाजार प्रदान करने तथा समाज के वंचितों वर्गो के लिए अतिरिक्त आय के अवसर जुटाने के उद्देश्य से भारतीय रेलवे ने ‘वन स्टेशन वन प्रोडक्ट’ (ओएसओपी) योजना शुरू की है।

21 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश हैं शामिल

इस योजना के तहत, रेलवे स्टेशनों पर ओएसओपी केन्द्रों को स्वदेशी/स्थानीय उत्पादों को प्रदर्शित करने, बेचने और उच्च दृश्यता प्रदान करने के लिए आवंटित किया जाता है। इसकी पायलट योजना 25 मार्च 2022 को शुरू की गई थी और 1 मई 2023 के अनुसार पूरे देश के 21 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में 785 ओएसओपी केन्द्रों के साथ 728 स्टेशनों को शामिल किया गया है। इन ओएसओपी स्टालों को एकरूपता प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान के माध्यम से डिजाइन किया गया है। मार्च 2022 से 01.05.2023 तक संचयी प्रत्यक्ष लाभार्थियों की संख्या 25,109 हो गई है।

‘वन स्टेशन वन प्रोडक्ट’ स्थान विशेष के लिए विशिष्ट हैं और इसमें स्वदेशी जनजातियों द्वारा बनाई गई कलाकृतियां, स्थानीय बुनकरों द्वारा हथकरघा, विश्व प्रसिद्ध लकड़ी की नक्काशी जैसे हस्तशिल्प, कपड़े पर चिकनकारी और जरी-जरदोजी का काम या मसाले चाय, कॉफी और अन्य संसाधित/अर्द्ध संसाधित खाद्य पदार्थ/उत्पाद जिनका देश में उत्पादन हुआ है, शामिल हैं। उदाहरण के लिए, पूर्वोत्तर भारत में असमिया पीठा, पारंपरिक राजबंशी पोशाक, झापी, स्थानीय कपड़ा, जूट उत्पाद (टोपी, गमछा, गुड़िया) ओएसओपी स्टालों पर उपलब्ध हैं और जम्मू-कश्मीर क्षेत्र, कश्मीरी गिरदा, कश्मीरी कहवा और सूखे मेवे प्रसिद्ध हैं, दक्षिण भारत में काजू उत्पाद, मसाले, चिन्नालापट्टी हथकरघा साड़ियाँ यात्रियों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं, देश के पश्चिमी भाग में कढ़ाई और ज़री ज़रदोज़ी, नारियल हलवा, स्थानीय रूप से उगाए गए फल, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, बंधनी प्रसिद्ध हैं।

छत्तीसगढ़ की लोककला एवं हस्तशिल्प को प्राथमिकता

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में बिलासपुर, रायपुर व नागपुर रेल मण्डल के 27 स्टेशनों में ‘एक स्टेशन एक उत्पाद’ के 31 बिक्री केन्द्र (स्टॉल) की शुरुआत की गई है । मुख्य रूप से बिलासपुर, रायगढ़, सक्ती, चांपा, जांजगीर-नैला, पेंड्रारोड, कोरबा, अनुपपुर, शहडोल, रायपुर, दुर्ग, भाटापारा, भिलाई पावर हाउस, मरौदा, दल्लीराझरा, राजनांदगांव, डोंगरगढ़ आदि महत्वपूर्ण स्टेशनों में इस व्यवस्था को प्रारम्भ कर दिया गया है। स्थानीय हस्तशिल्पियों, कलाकारों, विभिन्न गैर सरकारी संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं, स्वयं सहायता समूहों तथा अन्य संबन्धित समूहों से समन्वय कर उत्पादों को चिन्हित कर स्थानीय/स्वदेशी उत्पादों के लिए एक बाजार प्रदान करने तथा समाज के वंचितों वर्गो के लिए अतिरिक्त आय के अवसर जुटाने के उद्देश्य से दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में इन्हें एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म उपलब्ध कराने की नीति को क्रियान्वयन किया है । 

रायगढ़ स्टेशन में डोकरा बेल मेटल/रोट आयरन हैंडीक्राफ्ट, बिलासपुर में लेदर प्रॉडक्ट, चांपा में कोसा फैब्रिक, सक्ती में केनवास पेंटिंग, जांजगीर नैला में पैरा आर्ट, उसलापुर तथा कोरबा में हर्बल मेडिसिन, अनूपपुर में गोंडी पेंटिंग, रायपुर में बस्तर तथा तुम्बा आर्ट, दुर्ग, भिलाई, मरोदा तथा दल्ली राजहरा में होम मेड प्रॉडक्ट, होम मेड डेकोरेटिव प्रॉडक्ट, इतवारी, गोंदिया, राजनांदगांव में बैम्बू तथा हैंडीक्राफ्ट/टेक्सटाइल, पेंड्रारोड, नैनपुर, घनसौर तथा शहडोल में फॉरेस्ट प्रॉडक्ट, जिसमें शहद, आंवला, कोदो, कुटकी आदि शामिल है । 

रायगढ़ में अनुभव महिला स्वसहायता समूह, कोरबा में सरोजनी ग्रामीण विकास महिला संगठन, दुर्ग में स्वस्तिक सेल्फ़हेल्प ग्रुप, भिलाई पावर हाउस में राधेश्याम सेल्फ़हेल्प ग्रुप, मरौदा में जय मां चंडी सेल्फ़हेल्प ग्रुप आदि ‘वन स्टेशन, वन प्रॉडक्ट’ के अंतर्गत अपने उत्पाद का विक्रय कर रहे है । शहरी क्षेत्रों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक स्थानीय उत्पादों की विस्तृत शृंखला को विपणन के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं । इससे देश के कोने कोने से हजारों यात्री तथा विदेशी पर्यटक इन उत्पादों से जूड़ रहें है। ‘वन स्टेशन, वन प्रॉडक्ट’ कई स्थानीय हस्तशिल्पियों तथा कारीगरों के जीवन को बदलने वाला एक रोजगार सृजक प्रतीत हो रहा है।

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