जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शिक्षा समागम का किया उद्घाटन
रायपुर/नवप्रदेश। Vision Document : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री भारत रत्न पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन बालदिवस के अवसर पर आज राजधानी के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर और पंडित नेहरू के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने की। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रकाशित ’विजन 2030’ पुस्तिका, ’छत्तीसगढ़ की विभूतियां’, ’छत्तीसगढ़ राजगीत के कैलेण्डर’, ’स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल और पढ़ई तुंहर दुआर योजना की कॉफी टेबल बुक’, ’स्कूलिंग फॉर एक्सीलेंस’ का विमोचन किया।
27 राज्यों से पहुंचे शिक्षाविद
दो दिवसीय शिक्षा समागम के दौरान पिछले 75वर्षों में बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में क्या कार्य किए गए और उनमें क्या कमी रह गई। बच्चों की शिक्षा के लिए और बेहतर क्या किया जा सकता है, हम किस दिशा में आगे बढ़े, इस पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इस समागम में 27 राज्यों से आए प्रतिनिधियों से छत्तीसगढ़ को भी काफी कुछ सीखने का अवसर मिलेगा। शिक्षा समागम में शामिल हो रहे शिक्षाविदों, विद्वानों, शिक्षकों और विशेषज्ञों ने स्कूली शिक्षा के संबंध में अनेक महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। कार्यक्रम के पहले अतिथियों ने स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में किए गए नवाचारों पर ऑडिटोरियम परिसर में लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
CM भूपेश की 3 बड़ी घोषणाएं
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के स्कूली शिक्षा का विजन डाक्यूमेंट 2030 (Vision Document) के तहत तीन महत्वपूर्ण घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय की तर्ज पर गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने के लिए छत्तीसगढ़ में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मानकों के अनुरूप विद्यालय संचालित किए जाएंगे। तीन वर्ष से अधिक आयु समूह के छोटे बच्चों के लिए बालवाड़ी का संचालन कर उन्हें पूर्व प्राथमिक शिक्षा प्रदान की जाएगी और कक्षा नौवीं से 12वीं के विद्यार्थियों को रोजगारोन्मुखी शिक्षा प्रदान की जाएगी ताकि बच्चे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ किसी विधा विशेष में हुनर अर्जित कर सकें।
सीएम बघेल ने कहा कि इस वर्ष हाई स्कूल के विद्यार्थियों के लिए हाई स्कूल की शिक्षा के साथ कुछ स्कूलों में चुनिंदा ट्रेडों में आईटीआई के प्रशिक्षण की शुरूआत कर दी गई है। इस पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों को 12वीं की परीक्षा पास करने पर 12वीं के साथ आईटीआई का प्रमाण पत्र भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष प्रारंभ किए गए इस पाठ्यक्रम में 8 हजार विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं।
सीएम बघेल ने कहा कि आधुनिक भारत केे निर्माण में पंडित जवाहरलाल नेहरू के योगदान को जब भी याद किया जाएगा, तब नेहरू जी द्वारा विशेष रूप से आर्थिक और शैक्षणिक क्षेत्र में की गई शुरूआत, निर्मित की गई महत्वपूर्ण अधोसंरचनाओं को हमेशा याद किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि नेहरू जी को बच्चों से विशेष लगाव था। वे कहा करते थे कि बच्चों का लालन-पालन बड़े ध्यान और प्यार से करना चाहिए, क्योंकि वे देश का भविष्य है।
छत्तीसगढ़ में डिजिटल शिक्षा
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में पूरी दुनिया प्रभावित हुई थी। इस दौर में छत्तीसगढ़ में डिजिटल शिक्षा की शुरूआत की गई। कोरोना संकट के दौरान अनेक चुनौतियों के बावजूद शिक्षकों ने भी अपने शैक्षणिक दायित्वों का बखूबी निर्वहन किया। छत्तीसगढ़ में छाते वाले गुरूजी, घंटी वाले गुरूजी और मोटर सायकल वाले गुरूजी की कहानियां देखने को मिली। कोरोना काल में शिक्षकों ने बच्चों की पढ़ाई को अवरूद्ध नहीं होने दिया। राज्य में 75 हजार से अधिक शिक्षकों ने विभिन्न विषयों पर रिकार्डिंग कर बच्चों तक अध्ययन सामग्री पहंुचाई, जिसका लाभ छत्तीसगढ़ के साथ-साथ अन्य प्रदेश के बच्चों ने भी लिया। जहां पर नेटवर्क की समस्या थी, वहां पर ऑफलाईन शिक्षा के लिए ब्लूटूथ (बुलटू के बोल) का उपयोग किया गया। लॉकडाउन में जब बच्चे घर में थे, तब उन्हें खेल-खेल में शिक्षा देने के लिए नवाचार प्रारंभ किया गया, जिसमें बच्चों के पालकों को भी शामिल किया गया।
प्रदेश में कौशलयुक्त शिक्षा
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ.प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बच्चों की शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए छत्तीसगढ़ के निर्माण के बाद पहली बार शिक्षा समागम का आयोजन किया जा रहा है। राज्य सरकार का यह प्रयास है कि छत्तीसगढ़ में बच्चों को कौशलयुक्त शिक्षा प्रदान की जाए। उन्होंने कोरोनाकाल में ऑनलाईन शिक्षा के लिए शुरू किए गए ’पढ़ई तुंहर दुआर और पढ़ई तुंहर पारा’ नवाचार का उल्लेख किया। छत्तीसगढ़ में शिक्षा के अधिकार के तहत कक्षा 8वीं तक के दायरे को बढ़ाकर कक्षा 12वीं तक किया गया है। कोरोनाकाल में अपने परिजनों को खोने वाले बच्चों की शिक्षा के लिए महतारी दुलार योजना की शुरूआत की गई है।
शैक्षणिक नवाचार पर जोर
शिक्षाविद गौरव वल्लभ ने अपने उद्बोधन में शिक्षा (Vision Document) के क्षेत्र में पंडित जवाहर लाल नेहरू के योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने देश की प्रथम दो पंचवर्षीय योजनाओं में कम्पलसरी फ्री प्राइमरी एजुकेशन की व्यवस्था पूरे देश के लिए की। उनका यह प्रयास था कि देश में र्साइंटिफिक टेम्परामेंट विकसित हो। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में जब पूरे देश में स्कूली शिक्षा को डिजिटल डिवाईड के कारण नुकसान हुआ। छत्तीसगढ़ में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के नये-नये नवाचारों को सफलता के साथ लागू किया गया। स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल की लोकप्रियता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह स्कूल ’सेजेस फॉर एजेज’ बन गया है। उन्होंने स्कूली शिक्षा के संबंध में अनेक महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए।