शिक्षक से कोर्ट तक: विकास दिव्यकीर्ति की टिप्पणी ने छेड़ दी कानूनी बहस
नई दिल्ली, 12 जुलाई। Vikas Divyakirti controversy : IAS और जज—इन दोनों में किसकी ताकत ज़्यादा है? इसी सवाल को समझाते हुए दिए गए कथनों ने अब चर्चित शिक्षक और मोटिवेशनल स्पीकर विकास दिव्यकीर्ति को कानूनी पचड़े में डाल दिया है। एक यूट्यूब वीडियो में की गई टिप्पणियों को लेकर अब उन्हें 22 जुलाई को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश मिला है।
इस मामले में आरोप है कि विकास दिव्यकीर्ति ने सार्वजनिक मंच पर न्यायपालिका की तुलना करते हुए कुछ ऐसी बातें कह दीं जिन्हें “अपमानजनक और व्यंग्यात्मक” माना (Vikas Divyakirti controversy)गया। कथित तौर पर यह भी कहा गया कि “जजों की ताकत पुलिस और प्रशासन के सहयोग पर निर्भर होती है।” अब यह बयान न्यायपालिका की गरिमा के खिलाफ माना गया है।
कोर्ट का मानना है कि यह टिप्पणी न सिर्फ असंवेदनशील थी, बल्कि यह न्याय व्यवस्था की निष्पक्षता और प्रतिष्ठा को प्रभावित करने वाली (Vikas Divyakirti controversy)है। इस पर संज्ञान लेते हुए उन्हें BNS 2023 की धारा 356 और IT एक्ट की कुछ धाराओं के तहत केस का सामना करना पड़ रहा है।
दिव्यकीर्ति का पक्ष है कि वीडियो उनके नियंत्रण में नहीं था और संपादन के बाद उन्हें बिना अनुमति अपलोड किया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग किया है, पर कोर्ट ने इस दलील को ठुकरा दिया।
अब सवाल यह है कि एक शिक्षक के रूप में कही गई बात अगर कोर्ट की नजर में अपराध बन जाए, तो क्या हर सार्वजनिक व्याख्यान खतरे में आ सकता (Vikas Divyakirti controversy)है? इस प्रकरण ने अभिव्यक्ति की सीमाओं और संस्थाओं की गरिमा पर एक नई बहस खड़ी कर दी है।