रायपुर, नवप्रदेश। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, जिला राजनांदगांव द्वारा अंतरराज्यीय वेक्टर नियंत्रण कार्यशाला का आयोजन आज राजनांदगांव में किया गया।
कार्यशाला में वेक्टरजनित रोगों के रोकथाम की दिशा में छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों द्वारा किये जा रहे नवाचार को बढ़ावा देने की जानकारियों का आदान-प्रदान किया गया
जिससे कि इन रोगों के रोकथाम व नियंत्रण हेतु सकारात्मक पहल की जा सके और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके। संचालक, महामारी नियंत्रण, डॉ. सुभाष मिश्रा, रीजनल डायरेक्टर डॉ. संदीप जोगदंडे, राजनांदगांव के सीएमएचओ डॉ. मिथिलेश चौधरी, राज्य स्तर के
वेक्टर जनित सलाहकार तथा महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमा से लगे जिले कांकेर, बालोद, कबीरधाम और दुर्ग के सीएमएचओ एवं डीएमओ के साथ छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे सीमावर्ती जिले गोंदिया, गढ़चिरौली व बालाघाट के मलेरिया कार्यक्रम में कार्यरत प्रतिनिधि कार्यशाला में शामिल हुए।
महामारी नियंत्रण के संचालक डॉ. सुभाष मिश्रा ने कार्यशाला में बताया की पिछले कई वर्षों से तीनों राज्यों के संयुक्त प्रयासों से मलेरिया व अन्य वेक्टरजनित रोग नियंत्रण की दिशा में लगातार कार्य किए जा रहे हैं।
मच्छरों के नियंत्रण की दिशा में एक्टिव सर्विलांस, स्प्रे व एलएलआईएन वितरण इत्यादि माध्यम हैं जिनसे मलेरिया वाहक मच्छरों को एक स्थान से दूसरे स्थान जाने से रोका जा सकता है। डॉ. मिश्रा ने कहा कि मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की सफलता के बाद पूरे छत्तीसगढ़ में इसे अभियान के रूप में चलाकर इसकी सफलता सुनिश्चित की गई। पूरे छत्तीसगढ़ में यह अभियान बहुत कारगर रहा है।
उन्होंने दूसरे राज्यों से आने वाले प्रवासी मजदूरों का प्रदेश में प्रवेश से पहले स्वास्थ्य परीक्षण करने जिला मलेरिया अधिकारी को निर्देशित किया। प्रवासी मजदूरों की ट्रैकिंग व उनकी स्क्रीनिंग कर मलेरिया और इससे होने वाली मौतों तथा इसके प्रसार को रोका जा सकता है।
महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से आए स्वास्थ्य अधिकारियों ने मलेरिया व डेंगू की रोकथाम तथा नियंत्रण के लिए अपने-अपने राज्य में की जा रही गतिविधियों की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि मलेरिया और डेंगू के मरीजों की जानकारी आशा मितानिनों द्वारा स्वास्थ्य केंद्रों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए जिससे समय रहते इलाज किया जा सके।