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Vampanthi : विज्ञापन की शब्दावली पर आपत्ति…

Vampanthi: Objection to the terminology of the advertisement…

Vampanthi

CM को लिखा पत्र- विज्ञापन में सुधार की गुहार

रायपुर/नवप्रदेश। Vampanthi : छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जारी विज्ञापन की शब्दावली पर आपत्ति व्यक्त करते हुए प्रदेश की तीन वामपंथी पार्टियों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। साथ ही उन्होंने मांग की है कि भविष्य में ऐसी शब्दावली का प्रयोग न करने के निर्देश सक्षम अधिकारियों को जारी किए जाएं।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने दो दिन पहले एक विज्ञापन जारी किया है, जिसमें आगामी दो सालों में ‘वामपंथ प्रभावित’ क्षेत्रों में सड़क संपर्क के लिए 1637 करोड़ रुपये खर्च करने का उल्लेख है।

वामपंथी पार्टियों (Vampanthi) का कहना है कि यह शब्दावली गलत है। पूर्व भाजपा सरकार में भी वामपंथ को बदनाम करने के लिए ऐसी दक्षिणपंथी भाषा का उपयोग होता था, लेकिन आज कांग्रेस राज में भी इस शब्दावली का प्रयोग किया है, जो कि बहुत खेदजनक है।

वाम प्रभावित शब्द भ्रम पैदा करता है

माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव संजय पराते, भाकपा के सचिव आरडीसीपी राव तथा भाकपा (माले)-लिबरेशन के सचिव बृजेन्द्र तिवारी ने इस संबंध में संयुक्त रूप से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है। अपने पत्र में तीनों वामपंथी नेताओं ने कहा है कि, निश्चित ही यहां आपकी सरकार का इशारा माओवाद-प्रभावित या नक्सल प्रभावित वामपंथी-उग्रवाद से है। लेकिन विज्ञापन में उपयोग में लाया गया शब्द वामपंथ प्रभावित भ्रम पैदा करता है। वामपंथ प्रभावित और वामपंथ-उग्रवाद प्रभावित शब्द समानार्थी नहीं है और उनके राजनीतिक निहितार्थ भिन्न-भिन्न होते हैं।

वामपंथी ताकतों (Vampanthi) की देश की संसदीय राजनीति को रूपाकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका है। देश की संवैधानिक-लोकतांत्रिक-राजनैतिक प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है। वर्ष 2005 में वामपंथ के बाहरी और सक्रिय समर्थन से ही संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का केंद्र की सत्ता में आना सुनिश्चित हो सका था। आज भी आम जनता के हितों से जुड़े कई साझा मुद्दों पर कांग्रेस और वामपंथी ताकतों के सहयोग व समर्थन से संघर्ष विकसित हो रहा है, लिहाजा इस तरह के शब्दावली का इस्तेमाल करना उचित नहीं है।

भाजपा भी करते रहे बदनाम

इस देश की मुख्यधारा की वामपंथी पार्टियों को वामपंथी उग्रवाद के समकक्ष रखकर उसे बदनाम करने की कोशिश भाजपा करती रही है, जबकि हमारा वामपंथी-उग्रवाद से कोई लेना-देना नहीं रहा है। भाजपा की इसी समझदारी को इस विज्ञापन के जरिये आगे बढ़ाया गया है, जो खेदजनक है।

विज्ञापन में सुधार का आह्वान

तीनों वाम नेताओं ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार का यह विज्ञापन आदिवासी क्षेत्रों के पिछड़ेपन के लिए वामपंथी ताकतों को जिम्मेदार ठहराता प्रतीत होता है। इसलिए इस विज्ञापन में प्रयुक्त दक्षिणपंथी शब्दावली को सुधारा जाए और भविष्य में इस प्रकार की शब्दावली का उपयोग न करने का निर्देश सक्षम अधिकारियों को जारी किया जाए।

तीनों पार्टियों ने ऐसा ही एक पत्र मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रुचिर गर्ग को भी अलग से लिखा है और इस संबंध में आवश्यक सकारात्मक पहलकदमी करने की अपेक्षा की है।

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