नई दिल्ली। vaccine trial: कोरोना वायरस की तीसरी लहर बच्चों के लिए सबसे खतरनाक बताई जा रही है। प्रशासन ने तीसरी लहर से निपटने की तैयारी पहले ही शुरू कर दी है। 2 साल के बच्चों पर कोरोना वैक्सीन का परीक्षण किया गया है।
दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है कि इतने छोटे बच्चे पर कोरोना का टेस्ट किया गया है। इन बच्चों को तीन समूहों में बांटा गया है। जिसका सकारात्मक प्रभाव सामने आने लगा है।
इन बच्चों पर भारत बायोटेक के कोवासिन (vaccine trial) का परीक्षण किया जा रहा है। मंगलवार से कानपुर के इंटेंसिव केयर यूनिट में टेस्ट किया जा रहा है। टीके के परीक्षण के लिए बच्चों को तीन समूहों में बांटा गया है। पहले समूह में 2-6 आयु वर्ग के बच्चे। दूसरे समूह में 6 से 12 वर्ष की आयु के बच्चे शामिल हैं और तीसरे समूह में 12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चे शामिल हैं।
ऐसे किया गया वैक्सीन का परीक्षण
टीके के परीक्षण के पहले दिन 12 से 18 वर्ष के बीच के 40 बच्चों की जांच की गई। जिसमें 20 बच्चे टीकाकरण के लिए फिट पाए गए। बच्चों को वैक्सीन की खुराक दी गई। बुधवार को 6 से 12 साल की उम्र के 10 बच्चों का मेडिकल परीक्षण किया गया।
यह पता चला कि उनमें से 5 पात्र थे। उन बच्चों का भी टीकाकरण किया गया। इसके बाद 45 मिनट तक बच्चों पर नजर रखी गई। इंजेक्शन वाली जगह पर दो बच्चों में हल्के लाल धब्बे दिखाई दिए, जिन्हें सामान्य माना जाता है।
इतनी कम उम्र में दुनिया का पहला टेस्ट
वैक्सीन परीक्षण (vaccine trial) के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर वीएन त्रिपाठी ने कहा, दुनिया में यह पहली बार है कि 2 साल के बच्चे पर कोरोना का परीक्षण किया गया है। इतनी कम उम्र में बच्चों पर कहीं भी कोरोना वैक्सीन का परीक्षण नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि 2 साल के बच्चे का अब कोरोना वैक्सीन के लिए परीक्षण किया जाएगा।
कानपुर में अब तक वयस्कों पर कोरोना का परीक्षण किया गया था। रूस के स्पुतनिक और जाइडस कैडिलैक टीकों का भी परीक्षण किया गया। वैक्सीन बनाने वाली अन्य कंपनियां कानपुर में इसका परीक्षण करने की कोशिश कर रही हैं। कोवासिन का नेज़ल स्प्रे अगले महीने आएगा।