US attack on Iran: आखिरकार अमेरिका भी इजरायल और ईरान के बीच चल रही जंग में कूद पड़ा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह बयान दिया था कि अमेरिका दो सप्ताह बाद इस बात का फैसला करेगा कि उसे ईरान के खिलाफ क्या कार्यवाई करनी है? किंतु ऐसा कहने के दो दिन बाद ही अमेरिका ने ईरान पर बमबारी कर उसके तीन परमाणु संयंत्रों को नेस्तनाबूद कर दिया। जमीन के भीतर कई फीट नीचे स्थापित परमाणु संयंत्रों को नष्ट करने की क्षमता सिर्फ अमेरिका के पास ही है।
ऐसा करना इजरायल के बूते की बात नहीं थी। ईरान को भले ही इजरायल ने बड़ी क्षति पहुंचाई लेकिन उसकी पहुंच उन तीन महत्वपूर्ण परमाणु संयंत्रों तक नहीं हो पा रही थी जो झगड़े की असली जड़ रही है। जिसे बनाने में ईरान को दशकों लगे हैं और पेट्रोल से कमाया पैसा पानी की तरह बहाना पड़ा था। अब उसे अमेरिका ने धुंआ धुंआ कर के रख दिया है। उसने यह काम पाकिस्तान के एयर स्पेस का उपयोग कर अंजाम दिया है।
डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तानी आर्मी चीफ असिम मुनीर को व्हाइट हाउस में जो बिरयानी खिलाई थी उसके हर निवाले की कीमत अमेरिका ने ब्याज सहित वसूल कर ली। अब पाकिस्तान भी ईरान के निशाने पर आ जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। ईरान अमेरिका से तो नहीं लड़ सकता लेकिन इजरायल से उसकी जंग जारी रहेगी और अब वह पाकिस्तान को भी सबक सिखा सकता है। बहरहाल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के खिलाफ कार्रवाई कर यह तो साबित कर ही दिया है कि गरजने वाले बादल कभी कभी बरसते भी हैं।
अब इस अमेरिकी कार्रवाई के बाद ईरान और इजरायल के बीच या तो संघर्ष विराम हो जाएगा या फिर यह जंग और तेज हो जाएगी। यदि चीन और रुस भी ईरान के पक्ष में जंग में कूद पड़े तो इस युद्ध के तीसरे विश्वयुद्ध के रूप में तब्दील होने में देर नहीं लगेगी। यदि ऐसा हुआ तो पूरी दुनिया को इसका गंभीर दुष्परिणाम भुगतना पड़ेगा। तेल और गैस संकट के कारण कई देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी और महंगाई लोगों का जीना मुहाल कर देगी। कुल मिलाकर अब गेंद ईरान के पाले में है।
यह ईरान पर निर्भर है कि वह क्या चाहता है? इजरायल और अमेरिका ने तो अपना टारगेट पूरा कर लिया है। यदि ईरान बदले की कार्रवाई करता है तो स्थिति और भयावह रुप धारण कर सकती है। वैसे भी ईरान अलग थलग पड़ चुका है। मुस्लिम देश ही उसका साथ नहीं दे रहे हैं। अमेरिका और यूरोपीय देश उसके खिलाफ मोर्चा खोल बैठे हैं। अब ईरान को तय करना है कि वह जंग को खत्म करना चाहता है या आगे भी जारी रखकर हम तो डूबेंगे सनम सबको ले डूबेंगे वाली कहावत को चरितार्थ करना चाहता है?