राजेश माहेश्वरी। UP Vidhan Sabha Election : उत्तर प्रदेश 2022 के विधानसभा चुनावों की दहलीज पर खड़ा है। प्रदेश में सत्तासीन भाजपा की सीधी टक्कर समाजवादी पार्टी से है। फिलवक्त भी भाजपा के बाद सबसे ज्यादा विधायक सपा के खाते में ही हैं। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 12 अक्टूबर से विधानसभा चुनाव में समाजवादी झण्डा लहराने के लिये विजय रथ यात्रा की शुरूआत की है।
सड़क से सदन और सोशल मीडिया तक जिस तरह बीजेपी और सपा के बीच तीखी जुबानी जंग दिखाई देती है, उससे इस बात का स्पष्ट आभास होता है कि बीजेपी भी मानती है कि उसका मुकाबला किसी और से नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी से है। युवा अखिलेश यादव परिवर्तन की नई इबारत लिखने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। तो वहीं युवा अखिलेश के सपनों में रंग भरने में सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम भी कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं।
समाजवादी पार्टी किसानों, मजदूरों व नौजवानों के मुद्दों को लेकर ‘किसान नौजवान पटेल यात्रा’ निकाल रही है। इस यात्रा की कमान नरेश उत्तम के हाथों में ही है। इस यात्रा (UP Vidhan Sabha Election) की शुरूआत बीते 29 अगस्त को सीतापुर से हुई है। सात चरणों की यह यात्रा 64 दिनों में 46 जिलों में जाएगी। इसका समापन 31 अक्टूबर को प्रयागराज में होगा। इस यात्रा के जरिए सपा, भाजपा की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ विभिन्न जिलों में खेत, खलिहान, कुटीर उद्योग बचाओ, रोजगार दो आदि मुद्दों को लेकर सरकार को बखूबी घेर रही है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि नरेश उत्तम इस यात्रा के माध्यम से समाजवादी पार्टी की जीत सुनिश्चित करने में दिन-रात एक किये हुये हैं। इस यात्रा को लेकर आम जनमानस में गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है। जब मंच से नरेश उत्तम अपने खांटी देसी अंदाज में भाजपा और विरोधियों पर तीखे शब्द बाण चलाते हैं, तो चारों और हवा में समाजवादी पार्टी के नारे सुनाई देते हैं।
नरेश उत्तम जमीन से जुड़े नेता हैं। सादगी, विनम्रता, सहजता और संवाद की अद्भुत कला उनके व्यक्तित्व में चार चांद लगाते हैं। सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले फतेहपुर जनपद के मूल निवासी नरेश उत्तम छात्र जीवन से राजनीति से जुड़े रहे हैं। उनका परिवार लहुरी सराय में आज भी खेती किसानी पर पूरी तरह से निर्भर है। नरेश उत्तम ने जिले के जहानबाद के लहुरी सराय गांव के प्राथमिक विद्यालय से अपनी शिक्षा शुरू की थी।
अपने दो भाईयों में छोटे रहे नरेश उत्तम ने कानपुर के डीएवी लॉ कॉलेज से राजनीतिक पारी की शुरूआत की थी। 1980 में मुलायम सिंह के संपर्क में आने के बाद वे राजनीति में आए और उन्हें समर्पित सपा कार्यकर्ता और विवादरहित नेता कहा जाता है। 1989 में जनता दल से विधायक बने और मुलायम सिंह की सरकार में वन मंत्री रहे। उसके बाद 1991 में चुनाव हार गए, तब से समाजवादी पार्टी में हैं। 1993 में मुलायम के दूसरे कार्यकाल में दौरान नरेश उत्तम को यूपी पिछड़ा आयोग का सदस्य बनाया गया और मंत्री पद दिया गया।
2006 और 2012 में भी वे विधान परिषद के रहे. जब अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश सपा के अध्यक्ष थे तो उत्तम उनके डिप्टी थे, लेकिन शिवपाल के पद संभालने के बाद उन्हें हटा दिया गया था। खास बात यह है कि नरेश उत्तम सपा के संस्थापक मंडली के सदस्य भी और मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं। नरेश की पहचान गुटबाजी से दूर रहने वाले बेदाग छवि के नेता की है, इसलिए अखिलेश यादव ने सपा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पूरे विश्वास के साथ नरेश को सौंपी।
‘किसान नौजवान पटेल यात्रा’ के माध्यम से नरेश उत्तम समाजवादी पार्टी के संदेश जनता तक पहुंचा रहे हैं। वहीं वो भाजपा सरकार की नाकामियों को भी जमकर गिनाते हैं। बकौल नरेश उत्तम, देश में बहुसंख्यक समाज पर पूंजीवादी राज कर रहा है, पूंजीपति इस देश की तकदीर को निर्धारित कर रहे है। देश का किसान व नौजवान परेशान है व्यापारी व छोटे उद्योग कर्मियों की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी है, सीमा पर खड़ा जवान व खेत पर किसान यदि परेशान है तो देश खुशहाल व समृद्ध नहीं हो सकता है।
अपनी यात्रा के दौरान भाषणों में नरेश उत्तम किसानों की परेशानियों और दु:ख-दर्द को जोर-शोर से उठाते हैं। असल में नरेश उत्तम स्वयं किसानी वाले परिवार से संबंध रखते हैं। उनका परिवार आज भी खेती से जुड़ा है। ऐसे में नरेश को मालूम है कि किसान की असल समस्याएं क्या हैं? और उन समस्याओं का कैसे हल किया जा सकता है।
वो अपने भाषणों में कहते हैं कि, देश कृषिप्रधान देश है इसमें देश की 70 प्रतिशत जन संख्या प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर कर रही है देश में लगातार यूरिया, डीएपी के दामों में लगातार वृद्धि विगत पांच वर्षों में होती आई है। फसलों का न्यूनतम लागत मूल्य ना देकर किसानों को छला जा रहा है इसके बाबजूद भी किसानों के लिए कृषि बिल लाकर किसानों को उनकी ही जमीन कर मजदूर बनाया जा रहा है। यूपी विधानसभा चुनाव (UP Vidhan Sabha Election) में कानून व्यवस्था बड़ा मुद्दा बनेगा। नरेश उत्तम इस बात को बखूबी जानते हैं।
वो जमीनी नेता हैं इसलिए वो मंच से कहते हैं कि, भाजपा सरकार में किसान, महिलाएं, बच्चे, नौजवान से लेकर महंत तक सुरक्षित नहीं हैं। सपाइयों को लाल टोपी वाला गुंडा कहकर फर्जी मुकदमे लिखे जा रहे हैं। प्रदेश में इमरजेंसी जैसे हालात हैं। नरेश कहते हैं, समाजवादी पार्टी की लाल टोपी परिवर्तन का प्रतीक है आपातकालीन समय में लाल टोपी ने ही परिवर्तन किया था और एक बार फिर यही लाल टोपी प्रदेश में परिवर्तन करेगी।
नरेश उत्तम की आक्रमक भाषा शैली, तेवर और सरकार की नाकामियों पर प्रहार करने का अंदाज इस बात का बखूबी एहसास कराता है कि सूबे में इस यात्रा के साथ परिवर्तन की बयार बहती दिख रही है। समाजवादी पार्टी में पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे बेनी प्रसाद वर्मा के निधन के बाद पार्टी में कोई बड़ा कुर्मी नेता नहीं रहा है।