नई दिल्ली/नवप्रदेश। प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विशेष इस्पात के लिए उत्पादन-सम्बद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना को मंजूरी दी। इस योजना की अवधि वर्ष 2023-24 से वर्ष 2027-28 तक पांच वर्षों की होगी। 6322 करोड़ रूपए के बजटीय परिव्यय के साथ इस योजना से करीब 40,000 करोड़ रूपए का निवेश होने और विशेष इस्पात के लिए 25 मिलियन टन क्षमता का संवर्धन होने की उम्मीद है। इस योजना से करीब 5,25000 लोगों को रोजगार मिलेगा जिसमें से 68,000 प्रत्यक्ष रोजगार होगा।
विशेष इस्पात को लक्ष्य सेग्मेंट के रूप में चुना गया है क्योंकि वर्ष 2020-21 में 102 मिलियन टन इस्पात के उत्पादन में से देश में मूल्य-वर्धित इस्पात/विशेष इस्पात के केवल 18 मिलियन टन का उत्पादन हुआ था। इसके अलावा, उसी वर्ष 6.7 मिलियन टन के आयात में से, करीब 4 मिलियन टन आयात विशेष इस्पात का ही था, जिसके परिणामस्वरूप करीब 30,000 करोड़ रूपए की विदेशी मुद्रा का व्यय हुआ। विशेष इस्पात के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनकर, भारत इस्पात की मूल्य श्रृंखला मे उन्नति करेगा और कोरिया और जापान जैसे उन्नत इस्पात विनिर्माणकारी देशों के समकक्ष आएगा।
आशा है कि वर्ष 2026-27 के अंत तक विशेष इस्पात का उत्पादन 42 मिलियन टन हो जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि करीब 2.5 लाख करोड़ मूल्य के विशेष इस्पात का उत्पादन और खपत भारत में होगा जिसका अन्यथा आयात किया जाता। इसी प्रकार, विशेष इस्पात का निर्यात वर्तमान के 1.7 मिलियन टन के मुकाबले लगभग 5.5 मिलियन टन हो जाएगा जिससे 33,000 करोड़ रूपए की विदेशी मुद्रा प्राप्त होगी।
इस योजना का लाभ बड़े भागीदारों अर्थात एकीकृत इस्पात संयंत्रों और छोटे भागीदारों (द्वितीय इस्पात भागीदार), दोनों को प्राप्त होगा।
विशेष इस्पात मूल्यवर्धित इस्पात है जिसमें सामान्य तैयार इस्पात को उच्च मूल्यवर्धित इस्पात में परिवर्तित करने के लिए उसपर कोटिंग, प्लेटिंग, हीटट्रीटमेंट के जरिये प्रभाव डाला जाता है। जिसका प्रयोग ऑटोमोबाइल क्षेत्र, विशेषीकृत कैपिटल गुड्स इत्यादि के अलावा विभिन्न रणनीतिक अनुप्रयोगों जैसे कि रक्षा, अंतरिक्ष, ऊर्जा में किया जा सकता है।
विशेष इस्पात की पांच श्रेणियां जिनको पीएलाई योजना में चुना गया है-
- कोटेड/प्लेटेड इस्पात उत्पाद
- हाई स्ट्रेंथ/ वियररेजिस्टेंटस्टील
- स्पेशियलटी रेल
- अलॉय स्टील उत्पाद और स्टील वॉयर
- इलेक्ट्रिकल स्टील
इन उत्पाद श्रेणियों में से,आशा है कि इस योजना के पूरा होने के बाद भारत एपीआई ग्रेड पाइप, हेड हार्डेन्ड रेल, इलैक्ट्रिकल स्टील (ट्रांसफार्मर और विद्युत उपकरणों में आवश्यक) जैसे उत्पादों का विनिर्माण करना शुरू कर देगा जिनका फिलहाल बहुत ही सीमित मात्रा में विनिर्माण होता है या बिल्कुल भी विनिर्माण नहीं होता है।
पीएलआई (PLI) प्रोत्साहन (इन्सेंटिव) के तीन स्लैब हैं, निम्नतम स्लैब 4 प्रतिशत और उच्चतम 12 प्रतिशत है, जिसका इलैक्ट्रिकल स्टील (CRGO) के लिए प्रावधान किया गया है। विशेष इस्पात के लिए पीएलआई योजना से यह सुनिश्चित होगा कि प्रयुक्त मूल इस्पात को देश के भीतर ‘पिघलाया और ढाला जाता है, जिसका अर्थ है कि विशेष इस्पात का विनिर्माण करने के लिए प्रयुक्त कच्चा माल (तैयार इस्पात) भारत में ही बनाया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि योजना सेदेश के भीतर एंड-टू-एंड विनिर्माण को बढ़ावा मिले।
भारत सरकार के इस ऐतिहासिक निर्णय पर टिप्पणी करते हुए सुमित देब, सीएमडी, एनएमडीसी ने कहा कि PLI योजना से घरेलू इस्पात उद्योग को निश्चित रूप से बढ़ावा मिलेगा और यह भारत को ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा।