बिहार, झारखंड समेत देश के करीब दर्जन भर राज्यों में विश्वविद्यालयों और उनसे संबद्ध उच्च शिक्षण संस्थानों में लगातार लेटलतीफ चल रहे शैक्षणिक सत्र पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC Academic Session Delay) ने गंभीर नाराजगी जताई है।
यूजीसी ने कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा है कि शैक्षणिक सत्र को तुरंत पटरी पर लाया जाए, समय पर परीक्षाएँ कराई जाएँ और तय समय सीमा में डिग्री दी जाए, अन्यथा अब कार्रवाई तय है। यह पहली बार है जब यूजीसी ने इतनी सख्ती से लेटलतीफी पर निशाना साधा है। देश में इस समय करीब 1,100 विश्वविद्यालय हैं, जिनमें लगभग 50 केंद्रीय विश्वविद्यालय शामिल हैं।
यूजीसी के सचिव प्रोफेसर मनीष जोशी ने उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों को भेजे पत्र में कहा है कि शैक्षणिक सत्र की देरी से छात्रों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। कई छात्र देर से डिग्री मिलने के कारण आगे (University Degree Delay Issue) उच्च शिक्षा में दाखिला नहीं ले पा रहे, न ही प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हो पा रहे हैं।
इससे उनके रोजगार और करियर पर सीधा असर पड़ रहा है। यूजीसी ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि परीक्षा परिणाम घोषित होने के अधिकतम 180 दिन के भीतर डिग्री वितरित करना अनिवार्य है और यह नियम कड़ाई से लागू किया जाएगा।
यूजीसी सचिव ने यह भी बताया कि नियमों के अनुसार 180 दिन के भीतर डिग्री न देने पर विश्वविद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें मान्यता रद्द करना, आर्थिक सहायता रोकना और संस्थानों को (UGC Notice to Universities) डिफाल्टर घोषित करना जैसी दंडात्मक कार्रवाई शामिल है।
राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे कई मामले यूजीसी के पास पहुँचे हैं, जहाँ शैक्षणिक सत्र की लेटलतीफी के चलते तीन वर्ष का कोर्स चार साल या उससे अधिक समय में पूरा हो रहा है।
यूजीसी के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, इस लेटलतीफी की एक बड़ी वजह प्रवेश प्रक्रिया में होने वाली अनावश्यक देरी भी है। इसलिए यूजीसी अब नए शैक्षणिक सत्र से विश्वविद्यालयों के दाखिला कैलेंडर पर भी (Higher Education Regulation) कड़ी निगरानी रखने की तैयारी कर रही है, जिससे सत्र समय पर शुरू हो सके और छात्रों को नुकसान न उठाना पड़े।

