इंदौर में जन्मी दो सिर और एक धड़ वाली जुड़वां बच्ची ने चिकित्सा जगत को चौंका दिया। जन्म से पहले चार जांचों के बावजूद विकृति का न पता चलना, सिस्टम की बड़ी चूक है।
Two Headed Baby Born India : मंगलवार देर रात इंदौर के एमटीएच अस्पताल में जन्मी जुड़वां बच्ची ने पूरे चिकित्सा समुदाय को स्तब्ध कर दिया। यह एक दुर्लभ जैविक स्थिति है, जिसमें दो सिर और एक धड़ होता है। मेडिकल शब्दावली में इसे पैरापैगस डिसेफेलिक ट्विंस कहा जाता है। जन्म के समय बच्ची का कुल वजन 2.8 किलो था और दोनों सिर स्वतंत्र रूप से शरीर के बाएं और दाएं हिस्से को नियंत्रित कर रहे हैं।
बच्ची को एसएनसीयू की गहन निगरानी इकाई में रखा गया है और उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। उसे आक्सीजन पर रखा गया है और विशेषज्ञों की एक टीम लगातार उसकी स्थिति पर नजर रखे हुए है।
मेडिकल रिपोर्ट्स के अनुसार
दो सिर, दो रीढ़ की हड्डियाँ, दो लिवर,
एक ही दिल और फेफड़े,
दो अलग-अलग आंत तंत्र
दोनों सिर मस्तिष्कीय रूप से सक्रिय और शारीरिक नियंत्रण में सक्षम।
सोनोग्राफी में चूक, स्वास्थ्य तंत्र पर सवाल
बच्ची की मां, जो कि देवास के पलासी गांव की रहने वाली है, ने चार बार एएनसी चेकअप कराया था, लेकिन किसी भी जांच में यह गंभीर जन्मजात जटिलता(Two Headed Baby Born India) पकड़ में नहीं आई। यह सीधे तौर पर गांव के स्वास्थ्य केंद्र की लापरवाही को उजागर करता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि प्रारंभिक गर्भकाल में विस्तृत सोनोग्राफी की जाती, तो इस स्थिति का अनुमान लग सकता था।
चिकित्सा विशेषज्ञों की राय
डॉ. सुनील आर्य और डॉ. प्रीति मालपानी के अनुसार, यह स्थिति बेहद दुर्लभ होती है और करीब दो लाख जन्मों में एक बार ऐसा बच्चा(Two Headed Baby Born India) पैदा होता है। इनके जीवित रहने की संभावना अत्यंत कम होती है, लेकिन चिकित्सा टीम हर संभव प्रयास कर रही है।
यह क्यों होता है?
डॉ. अनुपमा दवे के अनुसार, यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब एक निषेचित अंडाणु भ्रूण बनने के दौरान पूरी तरह से विभाजित नहीं हो पाता। यह कोई वंशानुगत या पारिवारिक रोग नहीं है, बल्कि भ्रूणीय विकास में उत्पन्न हुई जटिलता का परिणाम है।

