0 नेताम बोले कांग्रेस की नोटिस का जवाब दे चुका अब मुझे कांग्रेस के फैसले का इंतजार
रायपुर/नवप्रदेश। Tribal leader Arvind Netam : ऐन राष्ट्रीय आदिवासी दिवस के रंग में रंगे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के एक वरिष्ठ आदिवासी नेता इन दिनों भविष्य की राजनीती को लेकर असमंजस में हैं। इसी चिंता में श्री नेताम अलग सियासी पार्टी का विकल्प पर 50 -50 फैसला कर चुके हैं। कांग्रेस में रहते हुए बयान के बाद उन्हें पार्टी ने नोटिस जारी किया था।
नेता अरविंद नेताम ने सर्व आदिवासी समाज के चुनाव लड़ने को लेकर कहा कि, सभी ST सीटों पर चुनाव लड़ा जाएगा। चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी किसी ने आदिवासियों को सुध नहीं ली, साथ ही कहा कि, दो जगहों से चुनाव नहीं लड़ा जा सकता। जैसे ही पार्टी का फैसला आ जाएगा, मैं निर्णय ले लूंगा। पीसीसी में सुनने वाला कोई भी नहीं है। क्योंकि पार्टी में सिर्फ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की चलती है। कांग्रेस बनिये की दुकान की तरह बन गई है।
जिसका जवाब भी अरविंद नेताम दे चुके हैं, लेकिन पीसीसी की तरफ से अब तक कोई फैसला नहीं लिया जा सका है। ऐसे में आगामी विधनसभा चुनाव को लेकर नेता अरविंद नेताम ने कहा था कि, 29 आदिवासी आरक्षित सीटों में समाज चुनाव लड़ेगा। इसके साथ ही ऐसी 20 सीटों पर हम भी कैंडिडेट उतारेंगे जहां आदिवासी समाज का वोट बैंक चुनाव के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
उन्होंने अपना और आदिवासियों का भविष्य देखते हुए कई बड़े फैसले लिए हैं। ऐसे में नोटिस का जवाब देने के बाद भी कांग्रेस ने उनपर कोई निणर्य नहीं लिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और सर्व आदिवासी समाज के नेता अरविंद नेताम कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे सकते हैं।
कयास लगाए जा रहे है कि, कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बना सकते हैं। आगामी विधनसभा चुनाव को लेकर नेता अरविंद नेताम ने कहा था कि, 29 आदिवासी आरक्षित सीटों में समाज चुनाव लड़ेगा। इसके साथ ही ऐसी 20 सीटों पर हम भी कैंडिडेट उतारेंगे जहां आदिवासी समाज का वोट बैंक चुनाव के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
नेता अरविंद नेताम का कहना है कि, मैं अब तक कांग्रेस में हूं, लेकिन दुविधा में हूं…दरअसल, कांग्रेस से मुझे शोकाज नोटिस मिला था। जिसका जवाब मैंने दे दिया है। मैं अब पार्टी के फैसले का इंतजार कर रहा हूं।
पीसीसी चीफ बैज बोले हर एक नेता को खुश नहीं
नेता अरविंद नेताम के इस्तीफे के मामले को लेकर पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा कि, हर राजनीतिक व्यक्ति को संतुष्ट कर पाना संभव नहीं है। आदिवासी समाज हमारी सरकार से खुश है। यह तो लोकतंत्र है…चुनाव लड़ना चाहे तो कोई भी लड़ सकता है।