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Tokyo Paralympics: पोलियो एक व्हीलचेयर तक ही सीमित था, लेकिन टोक्यो पैरालिंपिक में एक ऐतिहासिक उपलब्धि भाविना पटेल..

Tokyo Paralympics, Polio was confined to a wheelchair, but Bhavina Patel was a historic achievement at the Tokyo Paralympics,

Tokyo Paralympics Bhavina Patel

नई दिल्ली। Tokyo Paralympic Bhavina Patel: भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी भावनाबेन पटेल ने टोक्यो में टोक्यो पैरालिंपिक के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया है। भावनाबेन पटेल ने चीन की झेंग मियाओ को 3-2 से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया। भावना ने सेमीफाइनल में 7-11, 11-7, 11-4, 9-11, 11-8 से जीत दर्ज की। अब तक किसी भी भारतीय महिला एथलीट ने ओलंपिक या पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक नहीं जीता है।

इसलिए भावना (Tokyo Paralympic Bhavina Patel) के पास भारत की पहली गोल्डन गर्ल बनने का मौका है। 2016 के रियो ओलंपिक में पी. वी सिंधु और दीपा मलिक ने पैरालिंपिक में रजत पदक जीते थे। हालांकि फाइनल में दोनों खिलाडिय़ों को हार का सामना करना पड़ा था।

इससे पहले क्वार्टर फाइनल में भावना ने लगातार तीन मैचों में सर्बिया की बोरिसलावा रैंकोविक पेरीक को 11-5, 11-6, 11-7 से हराया था। महिला एकल वर्ग 4 वर्ग में भाविना ने अंतिम 16 में ब्राजील की जॉयस डी ओलिवेरा को हराया। जॉयस ने 2016 रियो पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक जीता था।

वडनगर भारत के गुजरात राज्य के मेहसाणा जिले के भावनगर में स्थित एक गाँव है। उनका जन्म 6 नवंबर 1986 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। महज एक साल की उम्र में उन्हें पोलियो हो गया था। तब से वह विकलांग है। पांच लोगों के परिवार में उसके पिता अकेले कमाने वाले थे। इसलिए उनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे। बाद में उनकी विशाखापत्तनम में सर्जरी हुई, लेकिन उन्होंने व्हीलचेयर नहीं छोड़ी।

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