श्वेता शर्मा। Tokyo Olympics: टोक्यो ओलंपिक में भारत ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। विपरीत परिस्थितियों की भट्ठी से तपकर कनक बनी प्रतिभाओं ने मेडल जीतकर ये बता दिया है की हुनर किसी भी बाधा से ना रूका है और ना रूकेगा। इस ओलम्पिक से एक खास बात और सामने आयी कि जब-जब किसी खिलाड़ी ने मेडल हासिल किया तब-तब हम भारतीय सभी तकलीफों को भूल भारतीय बन गए। नीरज चोपड़ा के एक गोल्ड ने हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया।
लकड़ी बीनने वाली मीराबाई चानू ने सही में चरितार्थ कर दिया की एक पत्थर से भी आसमान में सुराख किया जा सकता है, बस जज्बा जीत का होना चाहिए। इन खिलाडिय़ों और भारतीयों के मनोबल को बढ़ाने के लिए कविता और स्लोगन लिख कर अपना हुनर दिखाया छत्तीसगढ़वासियों ने।
चीयर फॉर इंडिया ओलम्पिक (Tokyo Olympics) के शुभारंभ के पश्चात गर्व के साथ भारतीय खिलाडिय़ों ने जिस जोश और हौसले से खेल के इतिहास में अपनी उपस्थिति दर्ज करवायी है वह हर भारतीय को खेल व खिलाड़ी के लिये प्रोत्साहित करता है। इसी कड़ी में रीजनल आउटरीच ब्यूरो रायपुर ने खिलाडिय़ों के मनोबल को बढ़ाने के लिये शुरू कि राज्यस्तरीय चीयर फॉर इंडिया प्रतियोगिता।
इसके तहत सेल्फी पाइंट से लोगों ने भारतीय खिलाडिय़ों को शुभकामनाएं दी। इन शुभकामनाओं और प्रोत्साहन में ऑनलाईन कविता व स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें छत्तीसगढ़ आरओबी रायपुर के टिवट्र हैंडल को फॉलो करने वाले लोगों ने सहभागिता कर खिलाडिय़ों के मनोबल बढ़ाने के लिये हृदयस्पर्शी व प्रोत्साहित करने वाले कविता व स्लोगन भेजे।
CheeryIndia@robraipur को टैग करते हुए प्रतिभागियों ने अपनी एंट्री भेजी। दूर दराज इलाकों से युवक व युवतियों ने कवितायें प्रेषित की। चीयर फॉर इंडिया के लिये जाजंगीर जिले के अकलतरा से वर्षा यादव ने कविता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। जिनकी कविता का शीषर्क – कनक तुम्हारे शीश सजे के माध्यम से टोक्यो की धरती पर भारत के जीत का परचम लहराए, मां भारती का मस्तक, विजय तिलक से अलंकृत हो जाए, सुनो दीपिका अर्जुन सा, सजग साधना लक्ष्य अपना, तीर लगाना मीन नयन पर, करना पूरा अपना सपना, कनक तुम्हारे शीश सजे कुछ ऐसा निशाना हो जाए। टोक्यो की धरती पर भारत के जीत का परचम लहराए।
प्रभाकर शुक्ला ने लिखे जाएंगे एक नई आयाम उभर कर कई पदक आएंगे भारतीयों के नाम से बहुत ही सुंदर व आर्कषक कविता लिखी है। जिसमें में जापान में जब लहराएगा तिरंगा आएंगे दिन खुशियों के माध्यम से खिलाडिय़ों के साथ भारत के खेल प्रेमियां के उम्मीदों को भी उजागर किया है। भारत के खिलाडिय़ों के सम्मान में रायगढ़ जिले से नेहा बेहरा ने अपनी कविता के माध्यम से तू अर्जुन सा धुरंधर, भीम सा बलशाली है, तुझमें बजरंगी सा बल है, दौड़ चीते से मतवाली है, भर देना रण जोश अपने साथियों में तिरंगा लहरा कर आना तुम टोकियो में। जैसी कविता के माध्यम से मनोबल बढ़ाने का काम किया।
सुनीता रेड्डी अपनी कविता शत-शत नमन करूं ऐसे खिलाडिय़ों (Tokyo Olympics) को कविता के माध्यम से प्रोत्साहन किया है। अकलतरा से ईश्वरी पंसारी कविता के माध्यम से 120 खिलाडिय़ों की नहीं, यह तो 130 करोड़ भारतीयों की दहाड़ है। टोक्यो की भूमि पर ओलंपिक का लगा त्यौहार है। अपना तिरंगा शान से लहराकर टोकियों से आयेगे जीतकर दिल सबका हम जीत का परचम लहराएंगे के माध्यम से वीर रस से ओत-प्रोत कविता के माध्यम से खिलाडिय़ों को जोश व जज्बा भरने की कोशिश की है।
वर्षा यादव स्लोगन के माध्यम से हॉकी टीम को बधाई देती हुई लिखती हैं- जिद है कि जीतेंगे महासंग्राम ओलंपिक का, दिखा देंगे ये दुनिया को हुनर हम में है फतह का। शुभम गुप्ता ने स्लोगन से बतलाया- इस बारी, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी नहीं विश्व भर में भारत का गौरव बढ़ाना है जिस शीर्ष तक कोई पहुंच सके नहीं उस उंचाई पर तिरंगा फहराना है। शिवेश मिश्रा का स्लोगन- जीवन एक दौड़ है और मैं कभी भी जीतने के लिए नहीं दौडऩा चाहता हूं। बल्कि मैं दृश्यों का आनंद लेते हुए आसपास दौडऩा चाहता हूं। के माध्यम से खेलों के महाकुंभ में जाकर खिलाडिय़ां के साथ खिलाड़ी हो जाने व खिलाड़ी भावना की प्रेरणा मिलती है।
शिवम मिश्रा लिखते है परदेस की धरती पर भारत (Tokyo Olympics) का नाम छाया है, तिरंगे की शान को दुनिया में चमकाया है, गर्व करने का एक और अवसर हमने पाया है, मीराबाई चानू ने जब रजत पदक उठाया है। छाया नोरगे , राजेन्द्र कुमार उ.मा.शाला अकलतरा से सुन्दर से तिरंगे से भरी तस्वीर के साथ लिखती है -जब रेस लम्बी हो तो यह मायने नहीं कि कौन कितना तेज भाग रहा है मायने यह रखता हे कि कितनी देर तक भाग सकता है। खिलाडिय़ो को खेल भावनाओ का सम्मान कर रही है। 23 वर्षीय आकृति ताम्रकार स्लोगन लिखती हैं, चढ़ चेतक पर सटीक निशाना लगा तुम देना, ओलंपिक विजय की प्रत्यंचा चढ़ा तुम देना, विजय पताका लहरा तुम देना।