0 माइनिंग विभाग की मौन स्वीकृति, नदी से दिन रात परिवहन
0 टिप्पर चालक के पास पुराना पिटपास, सुबह 5 बजे से देर रात तक
रमेश कागदेलवार
दंतेवाड़ा/नवप्रदेश। CG Mining Department: डंप रेत पर कार्रवाई कर अपनी पीठ थपथपाने वाला माइनिंग विभाग का रेत माफियाओं को शह मिली हुई है। रेत खदानों के बंद होने के बाद भी नदियों का सीना चीरा जा रहा है। जेसीबी खुलेआम नदी में शुक्रवार को भी चलती नजर आई। रात दिन हाईवा से रेत ढोने का सिलसिला जारी है।
हम बात यह है जेसीबी चालकों के पास एक दिन पुराना पिटपास था। इसी पिट पास को दिखा कर वे नाकों को पार कर रहे थे। सुबह 5 बजे से देर रात तक सड़कों पर रेत भरे ट्रक बेरोकटोक दौड़ते हैं। मानसून की फिलहाल दस्तक नहीं हुई है, लेकिन मानसून के आने के पहले ही रेत उत्खनन का काम बंद कर दिया जाता है। बरसात में रेत उत्खनन बंद कर दिया जाता है।
इसके बाद भी रेत माफिया बेखौफ रेत का खनन (CG Mining Department) कर रेत की ढुलाई कर रहे हैं। ट्रक चालकों से पूछा तो उन्होंने कहा कि अधिकारियों की जानकारी मेंं ही किया जा रहा है। उनसे पूरी सेटिंग है। यदि सेटिंग नहीं होती तो नदी में जेसीबी तो छोड़ो एक मुट्ठी रेत नहीं निकाला जा सकता है।
इससे यह बात साबित होती है कि रेत तस्करों को मौखिक आदेश मिला हुआ है। यही वजह है खनन बंद होने के बाद भी उत्खनन जारी है। जिला प्रशासन को लाखों रुपए का राजस्व का चूना लगा रहा है। माइनिंग विभाग की सरपरस्ती में यह पूरा खेल जारी है। अत्यधिक उत्खनन से नदियों की खाद्य श्रृंखला टूट रही है। जैव विविधता पर भी प्रभाव पड़ रहा है।
एनजीटी के आदेश की खुलेआम उड़ाई गई धज्जियां
नई नीति में राष्ट्रीय हरित न्यायालय (एनजीटी) के आदेश की अनदेखी की जा रही है। एनजीटी ने अगस्त 2017 में एक मामले की सुनवाई के दौरान अपने आदेश में अवैध खनन (CG Mining Department) पर अंकुश लगाने के लिए सरकारों को कुछ महत्वपूर्ण निर्देश दिए थे। लेकिन इनमें से कई आदेश जैसे पर्यावरण की क्षति का मूल्यांकन के नियम, परिवहन वाहनों में जीपीएस और रेत खदानों की जियो टैगिंग का काम हुआ ही नहीं। ना ही, नई नीति में इनका उल्लेख है। हालांकि रेत खनन के लिए मशीन का इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता है। लेकिन यहां धड़ल्ले से मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।