सबसे पहले रहमत अली ने हिन्दुओं से अलग मुस्लिम देश की कल्पना 28 जनवरी 1933 को एक मसौदा तैयार कर की थी
नवप्रदेश डेस्क। Three Villains Of The Partition Of India : भारत की आज़ादी तो तय थी क्योंकि वतन के लिए मर मिटने वाले भारत माता के सपूत सिर पर कफन बांध चुके थे। ऐसे में बलिदानी आज़ादी देश विभक्त करके मिलेगी यह किसी हिंदू और मुसलमान या सिक्ख ने नहीं सोचा था। देश के विभाजन के लिए तीन ऐसे नाम भी थे जिन्होंने भारत के दो टुकड़े करने का मन बना चुके थे।
सबसे पहला नाम आता है रहमत अली का जिन्होंने 28 जनवरी 1933 को एक मसौदा तैयार किया था। मुलाकात मुस्लिम लीग के मोहम्मद अली जिन्ना से हुई तो उन्हें अपना मसौदा बताया। इसपर अंग्रेज सरकार ने भी अपनी मुहर लगा दी।
दरअसल कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के छात्र रहमत अली ने मसौदे में लिखा था कि अगर मुसलमानों को अपना अस्तित्व बचाकर रखना है तो अपना देश हिंदुओं से अलग कर लेना चाहिए। यहीं से पाकिस्तान का कॉन्सेप्ट आया। धीरे-धीरे ये कॉन्सेप्ट इतना पॉपुलर हुआ कि 1940 में मुस्लिम लीग ने अलग मुल्क ‘पाकिस्तान’ का प्रस्ताव रखा। ब्रिटेन के PM क्लेमेंट एटली ने इसे मंजूरी दी। साइरिल रेडक्लिफ ने बंटवारे की लकीर खींची।
विभाजन का जिसने मसौदा दिया जिन्ना से उसकी ही ठन गई
एक दिन रहमत अली ने जिन्ना को क्विज्लिंग-ए-आजम कहा यानी देशद्रोही या गद्दार ए आजम। इस पर सरकार ने उनकी सारी संपत्ति जब्त कर ली और उन्हें देश छोड़कर जाने के लिए कह दिया। रहमत अली अक्टूबर 1948 में खाली हाथ इंग्लैंड चले गए। जिन्ना के पाकिस्तान से चौधरी रहमत अली खुश नहीं थे। उन्होंने जिस पाकिस्तान की कल्पना की थी, उससे मौजूदा पाकिस्तान बहुत छोटा था। जब पाकिस्तान का निर्माण हो रहा था तब वो पूरे समय इंग्लैंड में ही रहे।
इसके बाद माउंटबेटन ने विभाजन का मसौदा पेश किया
2 जून 1947 को भारत के वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने बंटवारे का प्लान पेश किया। ब्रिटेन के PM क्लेमेंट एटली ने इसे मंजूरी दी। साइरिल रेडक्लिफ ने बंटवारे की लकीर खींची। बंटवारे में शामिल इन शख्सियतों में कोई टीबी से तड़पकर मरा, कोई ब्लास्ट से। किसी की निमोनिया से मौत हुई, तो किसी को दफनाने के लिए चंदा करना पड़ा।