However, this is just the beginning, we don’t know what the end result will be? : खेल खतम पैसा हजम। लोकसभा चुनाव खत्म होते ही उन राज्य सरकारों को जहां निकट भविष्य में विधानसभा चुनाव नहीं हो रहे हैं यह याद आया कि खजाने का पैसा तो खत्म हो गया है। नतीजतन अपने खाली खजाने को भरने के लिए कोई बिजली की दरें बढ़ा रहा है तो कोई डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ा रहा है। इस कारण मध्यम वर्ग का घरेलू बजट गड़बड़ा रहा है।
बहरहाल यह तो अगाज है, अंजाम पता नहीं क्या होगा? इस पर याद आता है यह शेर- इब्तिदा-ए इश्क है रोता है क्या.. आगे आगे देख.. होता है क्या।