-एनएलसीआईएल दो थर्मल पावर प्लांट की स्थापना करेगा
-घाटमपुर थर्मल पावर प्लांट से उत्तर प्रदेश को 1478.28 मेगावाट
-असम को 492.72 मेगावाट विद्युत की आपूर्ति होने की उम्मीद
-NLCIL का तालाबीरा, ओडिशा प्लांट तमिलनाडु को 1450 मेगावाट, पुडुचेरी को 100 मेगावाट और केरल को 400 मेगावाट विद्युत की आपूर्ति करेगा
नई दिल्ली। Thermal Power Plants: भारत के कोयला क्षेत्र के भविष्य की तैयारी के लिए, कोयला मंत्रालय, केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसई) में बड़े पैमाने पर विविधीकरण को बढ़ावा दे रहा है। इसके अनुरूप, एनएलसीआईएल दो थर्मल पावर प्लांट स्थापित करने की तैयारी कर रहा है। कानपुर के पास घाटमपुर में एक प्लांट स्थापित किया जा रहा है, जो 19,406 करोड़ रुपये की लागत से 3&660 मेगावाट विद्युत उत्पन्न करेगा।
एनएलसीआईएल और उत्तर प्रदेश सरकार की यह संयुक्त उद्यम परियोजना उत्तर प्रदेश को 1478.28 मेगावाट और असम राज्य को 492.72 मेगावाट विद्युत की आपूर्ति करेगी। यह परियोजना कार्यान्वयन चरण में है और इस संयंत्र के पहले चरण में इस वर्ष के अंत तक विद्युत उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है।
इसके अलावा, एनएलसीआईएल ने ओडिशा के तालाबीरा में 3&800 मेगावाट के पिटहेड थर्मल पावर प्लांट के निर्माण की भी योजना तैयार की है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 19,422 करोड़ रुपये है और यह तमिलनाडु को 1450 मेगावाट, पुडुचेरी को 100 मेगावाट और केरल को 400 मेगावाट विद्युत की आपूर्ति करेगी। इस परियोजना की वर्ष के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है और 2028-29 तक पूरा होने की संभावना है।
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) भी दो थर्मल पावर प्लांट की स्थापना करने की प्रक्रिया में है। एक, मध्य प्रदेश सरकार के साथ एक संयुक्त उद्यम के रूप में अमरकंटक के पास स्थित होगी। इस प्लांट की नियोजित क्षमता 1&660 मेगावाट होगी और अनुमानित लागत 5,600 करोड़ रुपये है। वर्तमान में, परियोजना अनुमोदन के अंतिम चरण में है और सीआईएल की सहायक कंपनी एसईसीएल इक्विटी के रूप में 857 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।
यह परियोजना एसईसीएल और मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के बीच एक संयुक्त उद्यम के माध्यम से स्थापित की जाएगी। इस परियोजना का काम इस वित्त वर्ष के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है, जिसे 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। परियोजना के लिए आवश्यक भूमि की व्यवस्था पहले ही की जा चुकी है।
इसके अलावा, सीआईएल की एक अन्य सहायक कंपनी महानदी कोल फील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) ने महानदी बेसिन पावर लिमिटेड को पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के रूप में स्थापित किया है। एमसीएल अपनी बसुंधरा खदान के पास 2&800 मेगावाट थर्मल पावर प्लांट स्थापित करने की योजना बना रहा है।
15,947 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाले इस पिटहेड संयंत्र को 4000 मेगावाट के पावर पर्चेज एग्रीमेंट्स(पीपीए) के लिए विभिन्न राज्यों से अभिरुचि प्राप्त हुई है। इस परियोजना पर काम अगले साल के मध्य तक शुरू होने की उम्मीद है और इसकी वर्ष 2028 तक लक्षित समापन तिथि निर्धारित की गई है।
कोयला मंत्रालय ने सीआईएल की सभी सहायक कंपनियों को यह सलाह दी है कि वे नए पिटहेड थर्मल पावर प्लांट की स्थापना के लिए उपयुक्त जी-कोल्ड भूमि का पता लगाएं। पिटहेड पर बिजली संयंत्र स्थापित करना अधिक किफायती है, जिसमें लगभग 2.5 रुपये की अनुमानित निश्चित लागत और लगभग 1.25 रुपये प्रति यूनिट की परिवर्तनीय लागत शामिल है, जिससे 4 रुपये प्रति यूनिट से कम दर पर विद्युत पैदा करना संभव हो जाता है।
यह निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि भविष्य में कोयला अधिशेष होने का अनुमान है, और इसका उद्देश्य नए थर्मल पावर प्लांट की स्थापना के साथ सीआईएल और एनएलसीआईएल के परिचालनों में स्थिरता सुनिश्चित करना है।
विद्युत मंत्रालय की नीतियों के अनुसार, थर्मल पावर प्लांट के साथ-साथ अपेक्षित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का भी सृजन किया गया है ताकि थर्मल और सौर के संयोजन से विद्युत उत्पादन में वृद्धि की जा सके। इससे अंतिम उपयोगकर्ताओं को किफायती तरीके से बिजली की आपूर्ति करने में सहायता मिलेगी।