नई दिल्ली/ए.। Titanic: दुनिया के सबसे मशहुर जहाज टाइटेनिक करीब 100 साल पहले अटलांटिक महासागर में समा गया था। इस जहाज के डूबने से हजारों लोंगों की मौत हो गई थी। जहाज के डूबने के बाद उसका मलबा आज भी अटलांटिक के सतह पर टूटता, गलता और बिखरता नजर आ रहा है। महासागर का वो हिस्सा जहां जहाज डूबा अब वहा का पानी भी बहुत खतरनाक हो गया है।
अटलांटिक महासागर में मिडनाइट जोन
जहां डूबा टाइटेनिक जहाज वह अटलांटिक महासागर में करीब चार किलोमीटर नीचे मौजूद है। वहां का पानी लगातार अपनी रूप रेखा बदलता है जिसकी वजह से काला अंधेरा छाया रहता है। टाइटेनिक का मलबा धीरे-धीरे विघटित होते जा रहा है। जिसकी वजह से पानी में कई तरह क्रियाएं भी होती है जिससे घना अंधेरा छा जाता है। इस क्षेत्र को मिडनाइट जोन भी कहा जाता है और यहां सूर्य की रोशनी भी नहीं पहुंच पाती है।
घना अंधेरा होने से भटकता है ध्यान
कई बार लोग टाइटेनिक का मलबा देखने समुद्र तल में जाने के लिए निकलते है लेकिन कुछ ही समय बाद उनके पनडुब्बी की रोशनी बंद हो जाती है। घना अंधेरा होने की वजह से पनडुब्बी की रोशनी कुछ ही मीटर तक जा पाती है। जिसकी वजह से चालक का ध्यान भटक जाता है और सूर्य की रोशनी कुछ दूरी तक ही पहुंच पाती है। लेकिन उसके बाद काला अंधेरा और बर्फ जैसा ठंडा पानी होने की वजह से कुछ लोग वापस लौट आते हैं।
अटलांटिक महासागर की सतह पर कीचड़ है, जो पानी की वजह से हिलती हुई नजर आ जाती है। कहा जाता है कि जब आप सतह पर पहुंचेंगे और आप महासागर में किस स्थान पर हो इसके लिए आपके पास केवल सोनर एडाप्टर होता है जो आपको सही दिशा दिखाता है। जानकारों के मुताबिक महासागर के अंदर राडार भी काम नहीं कर पाता है।
समंदर की सतह में दबाव 390 गुना
महासागर की सतह पर दबाव अधिक होता है। कहा जाता है कि उपर की तुलना में महासागर की सतह पर दबाव 390 गुना ज्यादा होता है इसलिए पनडुब्बी तैयार करते समय उसकी दिवारें अत्यधीक मोठी बनाई जाती है। बताया जाता है कि टाइटेनिक का मलबा घूलते जा रहा है जिसकी वजह से महासागर में चलने वाली हवा और लहरों के टकराव से मजबूत करंट बनता है। करंट बनने की स्थिति की वजह से वहां के पानी का घनत्व भी कम हो जाता है ऐसी स्थिति में महासागर के तल पर पड़े सामान भी इधर से उधर हिचकोले खाते नजर आ जाते है और एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंच जाते है।
टाइटेनिक का मलबा
करीब 100 साल पहले हुए हादसे की वजह से टाइटेनिक जहाज अलांटिक महासागर में डूब गया था। हादसा जहाज अपनी रफ्तार में चल रहा था जो बर्फ की चट्टान से टकरा गया और दो हिस्सों में टूट कर अलांटिक महासागर में समा गया था। इस हादसे को 100 साल से भी ज्यादा हो गए लेकिन अभी तक इसका मलबा पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। टाइटेनिक का मलबा टूटना, सडऩा और बिखरना अभी भी जारी है। मलबे के कारण ही वहां का पानी बहुत ज्यादा खतरनाक भी हो गया है।