टीकाकरण में गर्भवती महिलाओं को प्राथमिकता देने से जुड़ी याचिका
नई दिल्ली। Supreme Court : गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों पर कोरोना वैक्सीन के असर को लेकर कोई जांच की जा रही है ताकि कोरोना वैक्सीन के असर का पता चल सके। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से दो हफ्तों में जवाब मांगा है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है जिसमें मांग की गई है कि गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाने वाली माताओं को कोरोना वैक्सीन की डोज देने में प्राथमिकता दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को उच्च जोखिम वाली श्रेणी घोषित करने और कोविड-19 टीकाकरण के लिए प्राथमिकता देने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और दो सप्ताह के भीतर इस मामले में जवाब मांगा है।
हालांकि याचिका में कई अहम सवाल उठाए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि किसी को ये पता नहीं कि गर्भवती महिलाओं को जो कोरोना वैक्सीन दी जा रही है, उसका मां या बच्चे पर क्या असर पड़ रहा है।
क्या इसका मां या बच्चे की सेहत पर कोई नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसकी वैज्ञानिक जांच होनी चाहिए और जनता को ये सब जानने का अधिकार है।
डीसीपीसीआर की ओर से पेश अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा कि केंद्र ने गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के टीकाकरण के लिए कुछ दिशानिर्देश (Supreme Court) जारी किए हैं लेकिन अब कहा जा रहा है कि टीकाकरण के कारण उन पर कुछ प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि इन स्थितियों में महिलाओं को उच्च जोखिम वाली श्रेणियों के रूप में घोषित करने की आवश्यकता है। चूंकि लोग एक ऐसे वायरस से निपट रहे हैं जिसके बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं है, इसलिए उन पर टीकाकरण के प्रभावों पर निरंतर शोध करने की आवश्यकता है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि डीसीपीसीआर द्वारा अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका इस साल मई में कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच दायर की गई थी और बाद में गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के टीकाकरण के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए थे।
पीठ ने कहा कि वह केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर रही है और दो हफ्तों में जवाब चाहती है।
शीर्ष अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के टीकाकरण के लिए तैयार की गई नीति से अवगत कराएं और साथ ही इस मामले में भविष्य में उठाए जाने कदमों के बारे में उनसे सहायता मांगी है।