कोलकाता। NHRC की रिपोर्ट पर गृहमंत्री अमित शाह के साथ विस्तृत चर्चा होने की अटकलों के बीच पश्चिम बंगाल के राजयपाल जगदीप धनखड़ दिल्ली पहुंचे हैं। दरअसल, पश्चिम बंगाल सरकार राज्य में चुनाव के बाद की हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय को सौंपी गई रिपोर्ट में तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं के खिलाफ लगाए गए आरोपों को चुनौती देने के लिए अदालत जाने पर विचार कर रही है।
राज्यपाल का यह कदम मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात के कुछ दिनों बाद आया और करीब दो घंटे तक विस्तृत भी चर्चा हुई।
राज्यपाल का दिल्ली दौरा इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह गृहमंत्री अमित शाह के साथ NHRC की रिपोर्ट पर रविवार को चर्चा करेंगे, जिसे हाल ही में अदालत में पेश किया गया था।
कलकत्ता उच्च न्यायालय को सौंपी गई अपनी अंतिम रिपोर्ट में NHRC ने न केवल चुनाव के बाद की हिंसा और पीड़ितों के प्रति उदासीनता के लिए राज्य की आलोचना की, बल्कि यह भी आरोप लगाया कि राज्य मशीनरी ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रिपोर्ट में कहा गया है, “पश्चिम बंगाल राज्य की स्थिति ‘कानून के शासन’ के बजाय ‘शासक के कानून’ की अभिव्यक्ति है।” अधिकार निकाय ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य में हिंसक घटनाएं पीड़ितों की दुर्दशा के प्रति राज्य सरकार की ‘भयावह उदासीनता’ को दर्शाती हैं।
एनएचआरसी ने 50-पृष्ठ की रिपोर्ट में कहा, “पश्चिम बंगाल राज्य में हिंसक घटनाओं का अनुपात-अस्थायी विस्तार पीड़ितों की दुर्दशा के प्रति राज्य सरकार की भयावह उदासीनता को दर्शाता है। यह सत्तारूढ़ समर्थकों द्वारा प्रतिशोधात्मक हिंसा थी। मुख्य विपक्षी दल के समर्थकों के खिलाफ पार्टी। इसके परिणामस्वरूप हजारों लोगों के जीवन और आजीविका में बाधा उत्पन्न हुई और उनका आर्थिक गला घोंट दिया गया। स्थानीय पुलिस इस हिंसा में यदि सहभागी नहीं है, तो घोर परित्याग है।”
राज्यपाल के दिल्ली दौरे पर टिप्पणी करते हुए, भाजपा नेता शमिक बनर्जी ने कहा, “हमें कैसे पता चलेगा कि वह दिल्ली क्यों गए? मुख्यमंत्री ने उनके साथ दो घंटे तक बंद कमरे में बैठक की और उसके बाद वह दिल्ली गए। यह भी है संभव है कि इसी वजह से वह दिल्ली गए हों। राज्यपाल राज्य का मुखिया होता है और उम्मीद है कि वह राज्य के विकास के लिए मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे।”
इस बीच, राज्य एनएचआरसी की रिपोर्ट को चुनौती देने के लिए अदालत का रुख करने पर भी विचार कर रहा है, जहां राज्य में चुनाव के बाद की हिंसा के लिए तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को ‘अपराधी/गुंडे’ करार दिया गया है।