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छत्तीसगढ़ में फैल रहा किंग कोबरा का साम्राज्य, कोरबा बना पसंदीदा ठिकाना, DNA टेस्ट की शासन से मांगी अनुमति

The empire of King Cobra is spreading in Chhattisgarh, Korba has become a favourite spot, permission sought from the government for DNA test

King Cobra is spreading in Chhattisgarh

कोरबा/नवप्रदेश। King Cobra is spreading in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के जंगलों में किंग कोबरा का साम्राज्य तेजी से विस्तार कर रहा है। वर्ष 2016 में पहली बार कुदमुरा वन परिक्षेत्र में देखे गए इस जहरीले सांप की मौजूदगी अब कोरबा के अन्य क्षेत्रों और पड़ोसी जिलों तक फैल रही है। वन विभाग ने किंग कोबरा के आवास और आनुवंशिक अध्ययन की जिम्मेदारी रायपुर की नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी को सौंपी है।

पांच साल के शोध में बड़ा खुलासा

पांच साल तक चले शोध के बाद सामने आया है कि किंग कोबरा का रहवास अब न केवल कुदमुरा और कोरबा में, बल्कि पसरखेत, बालको और लेमरू क्षेत्रों में भी पाया गया है। इसके अलावा, सरगुजा जिले की सीमा पर भी इनके कुनबे की मौजूदगी दर्ज की गई है, जिससे इसके अन्य जिलों में विस्तार की संभावना बढ़ गई है।

कोरबा के जंगल: किंग कोबरा और उडऩ गिलहरी का घर

कोरबा के घने जंगल न केवल किंग कोबरा के लिए पसंदीदा ठिकाना बन रहे हैं, बल्कि यहां उडऩ गिलहरी जैसे दुर्लभ प्राणियों का भी बसेरा है। यह क्षेत्र जैव-विविधता का एक अनूठा केंद्र बनता जा रहा है, जो वन्यजीव संरक्षण और शोध के लिए महत्वपूर्ण है।

वन विभाग की पहल

वन विभाग ने किंग कोबरा (King Cobra is spreading in Chhattisgarh) के बढ़ते दायरे को समझने और इसके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की योजना बनाई है। नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी के साथ मिलकर विभाग इस प्रजाति के व्यवहार, आवास और आनुवंशिक विविधता पर गहन अध्ययन कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह शोध न केवल किंग कोबरा के संरक्षण में मदद करेगा, बल्कि स्थानीय समुदायों को जागरूक करने में भी सहायक होगा।

कोरबा के जंगलों में हैं दुर्लभ वन्यजीव

किंग कोबरा समेत ऐसे अनेक दुर्लभ जीव हैं, जिनके लिए कोरबा का जंगल वर्षों से पसंदीदा ठिकाना रहा है। उडऩ गिलहरी, खूबसूरत तितलियां, कबरबिज्जू, उद्बिलाव व पैंगोलीन जैसे कई छुपे हुए जीव हैं, जिन्होंने समय-समय पर अपनी झलक दिखाई है।

नोवा नेचर ने डीएनए टेस्ट की शासन से मांगी है अनुमति

इससे पता चलता है कि कोरबा की जैवविविधता कितनी अनोखी है और इसे सेहजकर रखने की जरूरत है। इनमें विलुप्त होते किंग कोबरा का कोरबा के जंगल में मिलना शोध का विषय है। यह दुनिया में पाए जाने वाले सांपों में सबसे अधिक विषैला होता है। वन विभाग ने इसकी जरूरत समझते हुए किंग कोबरा व अन्य सरीसृपों पर एक व्यापक अध्ययन किया जा रहा है। इसके लिए सरीसृप विशेषज्ञ वर्ष 2021 से शोध में जुटे हैं, जो स्थानीय विवरण और संरक्षण संबंधित समस्याओं पर अध्ययन कर डाटा जुटा रहे हैं।

नोवा नेचर ने इसके डीएनए टेस्ट की अनुमति शासन से मांगी है। उद्देश्य यही है कि पता लगाया जा सके कि भारत के पश्चिमी तराई क्षेत्र में पाए जाने वाले किंग कोबरा से यहां पाए जाने वाला सांप कितना भिन्न है। शासन ने अभी इसकी अनुमति नहीं दी है। सर्पों के विविध प्रजाति के विषय में कोरबा जिले की बात करें, तो जशपुर के बाद इसे दूसरा नागलोक कहा जाता है। गांव में इस सांप को पहरचित्ती सांप के नाम से जाना जाता है।

ऐसे सैंपल लिया जाएगा

कोरबा उप वनमण्डल अधिकारी आशीष खेलवार ने बताया कि जांच के लिए वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग रायपुर से अनुमति के लिए पत्र लिखा गया है। इसके बाद डीएनएन के लिए सैंपल लिया जाएगा। मृत सांप के जीवाश्म, केंचुल व मल भी संग्रहित किए जाएंगे। इनमें से कोई भी एक सैंपल मिलने से डीएनए जांच संभव है। जांच के लिए सैंपल कोशिकीय एवं आण्विक जीवविज्ञान केंद्र (सीसीएमवी) हैदराबाद व वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया देहरादून की फोरेंसिक लैब में भेजा जाएगा।

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