Terrorism : पूरे विश्व के लिए 'नासूर' बना आतंकवाद

Terrorism : पूरे विश्व के लिए ‘नासूर’ बना आतंकवाद

Terrorism: Terrorism has become a 'canker' for the whole world

Terrorism

शशांक खरे. Terrorism : आतंकवाद से न सिर्फ भारत जैसा विशाल राष्ट्र बल्कि, दुनिया के सारे देश चाहे वह सबल हो या निर्बल, छोटे हों या बड़े, सभी देश जूझ रहे हैं. अभी हाल ही में जम्मू के पुंछ के पास भीमबेर गली में पिछले दिनों हुए आतंकी हमले में पांच से सात आतंकी शामिल थे. सेना पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की पड़ताल में ये बात सामने आई है कि सूत्रों के अनुसार इनमें से चार आतंकी सीमा पार, यानी पाकिस्तानी हैं. जिन्होंने अपने पाकिस्तानी हैंडल्र्स के जरिए स्थानीय आतंकियों को शामिल कर करतूत को अंजाम दिया. विश्व के देशों ने एक स्वर में आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाई है और विश्व स्तर पर इस समस्या पर मंथन हो रहा है. किंतु वांछित परिणाम सामने नहीं आ रहा है. इससे आतंकियों के मनोबल बढ़े हुए हैं.

कुछ लोगों का मानना है कि कुछ ताकतवर राष्ट्र ही ऐसे आतंकवाद को जन्म देने के लिए दोषी हैं और जब उनके गले कोई मुसीबत पड़ती है, तो वे हायतौबा मचाते हैं. बाकी समय वे खामोश रहते हैं. कुछ साल पहले पेरिस में हुए आतंकी हमले पर विश्व समुदाय ने खूब आवाज बुलंद की थी, किंतु वांछित परिणाम सामने नहीं आया. आतंकवाद केवल एक देश की नहीं, समूची दुनिया की समस्या है. और इस समस्या के लिए उसी समय एक सार्थक पहल करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘ग्लोबल फोकल पाइंट कॉन्फ्रेंस ऑन एसेट रिकवरीÓ के उद्घाटन सत्र में सुझाव दिया था, कि आतंकवादी संगठनों की फंडिंग (आर्थिक मदद) तुरंत बंद होनी चाहिए. तभी उसे कमजोर बनाया जा सकता है और उससे मुकाबला भी किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि आर्थिक मदद रोकने के लिए ‘टारगेटेड इकॉनामिक सेक्शनÓ की स्थापना की जानी चाहिए.

‘पेरिस’ का हमला इस बात की ओर इशारा करता है कि ये संगठन ड्रग्स की तस्करी, बैंक डकैती, वाहनों की चोरी, जाली नोटों की छपाई जैसे गैर कानूनी मार्गों से अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करते हैं और उसके भरोसे आतंक फैलाने की कोशिश भी करते हैं. यदि इस पर रोक लगाने के लिए पूरा विश्व कदम उठाता है तो उन्हें बहुत हद तक कमजोर किया जा सकता है. ये बात सच है कि पैसा ही आदमी को ताकत प्रदान करता है और यदि वह वाम मार्गों से हासिल किया जाता है तो उसकी ताकत दोगुनी हो जाती है. ‘आतंकवादÓ का नासूर बन जाना न सिर्फ भारत, बल्कि अमेरिका और रूस जैसे महाशक्ति के लिए भी चिंता का विषय है. पैसा इंसान को आकर्षित करता है और उस लालच में वह भटक जाता है और ऐसे संगठन तैयार होते हैं. कुछ हद तक राजनीतिक विद्वेष और वैमनस्य भी इसके लिए जिम्मेदार है.

सरकारों की अनदेखी और अनसुनी भी इसके कारण हो सकते हैं. भारतीय प्रधानमंत्री के सुझाव को यदि विश्व के सभी राष्ट्र सहमति प्रदान करते हैं तो वो दिन दूर नहीं जब आतंकवाद और आतंकी संगठन मृत्युशैय्या पर अंतिम सांसें गिनते नजर आएंगे. भारत के साथ-साथ सभी देशों को ये जान लेना चाहिए कि ये एक नैसर्गिक सत्य है कि जो जैसा करेगा, वैसा ही भरेगा. देर सबेर उसके गनाहों की सजा उसे मिलेगी ही.

आतंक से कुछ भी हासिल नहीं होने वाला. खून-खराबे से सिवाय विध्वंस और अशांति के हम कुछ नहीं पा सकते. हम आशा करते हैं हमारे प्रधानमंत्री के सुझावों के साथ सारा विश्व कंधे से कंधा मिलाकर चलेगा. पाकिस्तान की माली हालत अत्यंत ही खराब है, किंतु पाकिस्तान अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहा है.

उल्लेखनीय हैै कि, पुंछ के भादोरियां अंचल में अक्टूबर 2021 में सेना पर आतंकियों (Terrorism) ने हमला किया था. इस वारदात में सेना के चार जवान शहीद हो गए थे. लगभग 15-20 जिन तक सर्च ऑपरेशन भी चलाया गया था. लेकिन, अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई. दरअसल, भादोरियां क्षेत्र सघन वन इलाका है. यहां छिपने की कई गुफानुमा जगह हंै. ये इलाका एलओसी से केवल 20 किमी की दूरी पर है. वारदात के समय सीमा के उस पार भागना आसान है. राजौरी और पुंछ में जेके गजनवी फोर्स का आतंक है. जैस के पिछलग्गू संगठन पीएएफएफ ने वारदात का जिम्मा लिया है, लेकिन आशंका है कि इसके पीछे लश्कर का हाथ हो सकता है.

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