Site icon Navpradesh

Teeja-pora Tihar : मुख्यमंत्री के न्यौते पर पारंपरिक वेशभूषा में पहुंची महिलाएं…

Teeja-pora Tihar: On the invitation of the Chief Minister, the women arrived in traditional costumes...

Teeja-pora Tihar

रायपुर/नवप्रदेश। Teeja-pora Tihar : सोमवार को तीजा-पोरा तिहार के लिए महिलाओं-बहनों के लिए मायका बना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का निवास। जहां सोमवार को सीएम निवास में छत्तीसगढ़ी संस्कृति के इंद्रधनुषी रंगों की छटा देखते ही बन रही थी। मुख्यमंत्री के न्यौते पर पारंपरिक वेशभूषा में बड़ी संख्या में महिलाओं ने बड़े उत्साह के साथ आयोजन में हिस्सा लिया।

मंत्रोच्चार के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने धर्मपत्नी श्रीमती मुक्तेश्वरी बघेल और परिवार के सदस्यों के साथ कार्यक्रम में शामिल होकर भगवान शिव, नांदिया बैला और चुकियां-पोरा की पूजा अर्चना कर प्रदेश की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। उन्होंने इस अवसर पर सभी माताओं और बहनों को त्यौहार की बधाई और शुभकामनाएं दी। राऊत नाच दल और छत्तीसगढ़ी लोक कलाकारों के दल ने छत्तीसगढ़ी गीत संगीत से अनोखा शमां बंधा। मुख्यमंत्री निवास में लोगों के लिए छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की व्यवस्था की गई थी।

स्वास्थ्य एवं पंचायत एवं ग्रामीण मंत्री टी.एस. सिंहदेव, महिला एवं बाल विकासमंत्री अनिला भेंडिया, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, वनमंत्री मोहम्मद अकबर, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, लोकसभा सांसद ज्योत्सना महंत, राज्यसभा सांसद छाया वर्मा, फूलोदेवी नेताम, संसदीय सचिव चिंतामणि महाराज, विकास उपाध्याय, रश्मि सिंह, शकुंतला साहू, विनोद सेवनलाल चंद्राकर, विधायक अरुण वोरा, उत्तरी जांगड़े, संगीता सिन्हा, मोहितराम केरकेट्टा, महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक, पूर्व विधायक प्रतिमा चंद्राकर, राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, राष्ट्रीय प्रवक्ता अलका लांबा, डॉ. रागिनी नायक सहित अनेक जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित थीं।

तीजा-पोरा तिहार (Teeja-pora Tihar) कार्यक्रम के लिए पूरे मुख्यमंत्री निवास की पारम्परिक रूप में भव्य सजावट की गई है। कार्यक्रम प्रांगण को तीजा-पोरा पर्व सहित छत्तीसगढ़ी ग्रामीण संस्कृति और जन-जीवन के प्रतीकों से सुसज्जित किया गया है। कार्यक्रम स्थल के 3 द्वार बनाये गए हैं । मुख्य द्वार को पोरा पर्व के पारंपरिक नांदिया बैला से सजाया गया है।

मुख्य द्वार के सामने पारम्परिक झूले- रईचुल, बैला-गाड़ी, बस्तर जनजातीय आर्ट और छत्तीसगढ़ी जन-जीवन से जुड़े चित्रों का मनमोहक प्रदर्शन किया गया है। मध्य द्वार को विशेष रूप से डिजाइन किया गया है, इसे पोरा पर्व से जुड़े पारम्परिक बर्तनों से बनाया गया है। मध्य और तीसरे द्वार के बीच की गैलरी को रंग-बिरंगे मटकों और रंगीन टोकनी के द्वारा आकर्षक कलेवर दिया गया है।

तीसरे द्वार की सजावट पर सरगुजा अंचल की संस्कृति की छाप है। मुख्य प्रांगण में एक खेल जोन बनाया गया है जहां फुगड़ी, चम्मच दौड़, जलेबी दौड़, कबड्डी, बोरा दौड़ आदि प्रतियोगिता आयोजित की गई। महिलाओं ने पूरे उत्साह से तीजा-पोरा तिहार (Teeja-pora Tihar) मनाया। प्रांगण के पश्चिमी हिस्से में विशेष सेल्फी जोन भी बनाया गया है, जहां छत्तीसगढ़ी ग्रामीण संस्कृति से जुड़े पारम्परिक बर्तन और रसोई के सामान जैसे मथनी, लकड़ी चूल्हा, धान कूटने की ढेकी, मूसर, जाँता, धान नापने का काठा, सिल-पट्टा, खलबट्टा, सूपा, बैल गाड़ी का चक्का, झूला, मिट्टी के बैल आदि को प्रदर्शित किया है और दीवार पर ग्रामीण संस्कृति से जुड़े नयनाभिराम चित्रों को उकेरा गया है।

प्रांगण के पूर्वी हिस्से में छत्तीसगढ़ी ग्रामीण परिवेश को दर्शाते एक मिट्टी के घर निर्माण किया गया है। इस घर की साज-सज्जा में पोरा से जुड़े विभिन्न प्रतीकों का इस्तेमाल किया गया है। घर के द्वार पर तुलसी चौरा और नन्दी बनाये गए हैं और पोरा पर्व तथा ग्रामीण जीवन मे उपयोग में आने वाले बर्तन व अन्य वस्तुओं जैसे पोरा, कढ़ाही, सुराही, बेलन-चौकी, ढकना, बाल्टी, चूल्हा आदि के मिट्टी के छोटे प्रतीकों सहित लकड़ी के नागर, बैल गाड़ी का चक्का और झाड़ू रखे हैं।

ग्रामीण परिवेश से सुसज्जित इस घर की खिड़की में भी सेल्फी जोन बनाया गया है। घर के बगल में मंदिर निर्मित किया गया है जहां महिलाएं शिवलिंग की पूजा करेंगी। प्रांगण में अनाज नापने के एक विशाल तराजू भी प्रदर्शित है और रईचुल झूला और गोल झूला की व्यवस्था की गई।

Exit mobile version