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Teacher Rationalization : गाँव-गाँव पहुंचेगा गुणवत्ता का उजाला…शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण बना शिक्षा सुधार की नई धुरी…

रायपुर, 21 मई। Teacher Rationalization : राज्य के दूरस्थ अंचलों और ग्रामीण इलाकों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुँचाने की दिशा में छत्तीसगढ़ का शिक्षा विभाग एक निर्णायक मोड़ पर है। शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण को लेकर उठ रहे सवालों के बीच अब विभाग ने न केवल स्पष्टता लाई है, बल्कि इस प्रक्रिया को एक समावेशी शिक्षा व्यवस्था की बुनियाद बताया है।

विभाग का कहना है कि शिक्षकों की उपस्थिति और गुणवत्ता को लेकर बनी भ्रांतियों को दूर करने के साथ-साथ यह प्रक्रिया “शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009” के अनुरूप शिक्षा के लोकतंत्रीकरण की दिशा में बड़ा कदम है। जहाँ पहले स्कूलों में संख्या के आधार पर पद स्वीकृत (Teacher Rationalization)थे, वहीं अब विद्यार्थी की आवश्यकता के अनुसार शिक्षक तैनात किए जा रहे हैं, जिससे संसाधनों का न्यायोचित वितरण संभव हो सके।

प्राथमिक विद्यालयों में दो शिक्षकों से पाँच कक्षाओं के संचालन को लेकर भी विभाग ने रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाया है। बहुकक्षा शिक्षण (multi-grade teaching) को न केवल प्रशिक्षण के माध्यम से लागू किया गया है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को शिक्षकों की निरंतर उपस्थिति भी सुनिश्चित की जा रही है। यह मॉडल कई राज्यों के लिए उदाहरण बन सकता है।

एक विशेष बात यह है कि 60 से कम छात्रों वाली शालाओं को लेकर जो भ्रम फैलाया जा रहा है, विभाग ने उसे तथ्यात्मक जानकारी से खारिज किया (Teacher Rationalization)है। प्रधान पाठक की भूमिका को भी सहायक शिक्षक के रूप में जोड़ते हुए यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी भी विद्यालय को ‘एकल-शिक्षकीय’ नहीं बनने दिया जाएगा।

विभाग ने दोहराया है कि युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य कटौती नहीं, बल्कि समान अवसर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है। यह कदम शिक्षा की समरसता और प्रभावशीलता की दिशा में राज्य को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकता है।

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