Teacher Count Milestone India : देश में शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी एक ऐतिहासिक उपलब्धि सामने आई है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के यूडीआइएसई प्लस (UDISE Plus) डाटा प्लेटफॉर्म के मुताबिक शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में पहली बार स्कूली शिक्षकों की संख्या एक करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है। यह मील का पत्थर (Teacher Count Milestone) न सिर्फ छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार का प्रतीक है, बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शिक्षा तक क्षेत्रीय समान पहुंच की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
पिछले साल यानी 2022-23 के मुकाबले शिक्षकों की संख्या में 6.7% वृद्धि दर्ज की गई है। यही नहीं, 2024-25 में छात्रों के स्कूल में बने रहने की दर (Retention Rate) और सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrollment Ratio) में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।
छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार
रिपोर्ट के मुताबिक, विभिन्न स्तरों पर अनुपात राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) द्वारा सुझाए गए 1:30 के मानक से भी बेहतर हुआ है –
आधारभूत स्तर : 1:10
प्रारंभिक स्तर : 1:13
मध्यम स्तर : 1:17
माध्यमिक स्तर : 1:21
इस सुधार का सीधा असर शिक्षण की गुणवत्ता पर पड़ा है। छोटे अनुपात के चलते छात्रों को शिक्षकों से अधिक व्यक्तिगत ध्यान और मार्गदर्शन मिल रहा है।
स्कूल छोड़ने की दर में कमी
शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि देश में सभी स्तरों पर ड्रॉपआउट दर में लगातार गिरावट आई है।
प्रारंभिक स्तर : 3.7% → 2.3%
मध्य स्तर : 5.2% → 3.5%
माध्यमिक स्तर : 10.9% → 8.2%
यह बदलाव सरकार की उन पहलों का परिणाम है, जो बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने पर केंद्रित रही हैं।
रिटेंशन रेट में बढ़ोतरी
रिपोर्ट के अनुसार छात्रों के स्कूल में बने रहने की दर (Retention Rate) 2024-25 में काफी बेहतर हुई है –
आधारभूत स्तर : 98.0% → 98.9%
प्रारंभिक स्तर : 85.4% → 92.4%
मध्यम स्तर : 78.0% → 82.8%
माध्यमिक स्तर : 45.6% → 47.2%
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि माध्यमिक स्तर पर खासतौर पर सुधार का कारण ग्रामीण और अर्धशहरी इलाकों में अधिक स्कूलों का खुलना है, जिससे बच्चों को पास के स्कूल में दाखिला आसान हुआ है।
खाली और एकल शिक्षक स्कूलों में गिरावट
UDISE Plus रिपोर्ट का एक और सकारात्मक पहलू यह है कि शून्य नामांकन वाले स्कूलों की संख्या 38% तक घट गई है। साथ ही, एकल शिक्षक वाले स्कूलों में भी 6% की कमी दर्ज की गई है।