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Target Killing in Kashmir : कश्मीर में टारगेट किलिंग की काली छाया

Target Killing in Kashmir : Specter of Target Killing in Kashmir

Target Killing in Kashmir

आशीष वशिष्ठ। Target Killing in Kashmir : कश्मीर में टारगेट किलिंग थमने का नाम नहीं ले रही है। गत 18 अक्टूबर को आतंकियों ने दो श्रमिकों का निशाना बनाया। उत्तर प्रदेश के जनपद कन्नौज के ठठिया क्षेत्र के सुरसी के दन्नापूरवा निवासी मुनेश और रामसागर दोनों करीब डेढ़ महीने मजदूरी करने के लिए जम्मू-कश्मीर गए हुए थे। वहां पर सेब की पेटियां भरने का काम करते थे। 18 अक्टूबर की शाम आतंकियों ने टारगेट किलिंग में दोनो की हत्या कर दी। निहत्थे श्रमिकों पर कायराना हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) ने ली है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जिन आतंकियों ने हमला किया है वे संगठन के हाइब्रिड आतंकवादी हैं। मजदूरों को दक्षिण कश्मीर के शोपियां में हरमन के पास ग्रेनेड फेंककर मारा गया है।

बीते 15 अक्टूबर को आतंकियों ने प्रवासी कश्मीरी पंडित (Target Killing in Kashmir) पूरण कृष्ण भट की उनके घर के पास हत्या कर दी गई थी। इस हत्या की जिम्मेदारी कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स (केएफएफ) आतंकी संगठन ने ली थी। शोपियां के चैधरी गुंड इलाके में आतंकियों ने कश्मीरी पंडित पूरण कृष्ण भट पर उस वक्त हमला किया जब वह अपने बाग की ओर जा रहे थे। पूरण कृष्ण भट शोपियां के चैधरी गुंड इलाके के स्थायी निवासी थे। 1989 के दौरान घाटी में कश्मीरी पंडितों के प्रति बिगड़े हालातों के बीच भी उन्होंने पलायन नहीं किया था। धारा-370 हटने के बाद सुरक्षा की बलों की चैकसी के बावजूद टारगेट किलिंग के बढ़ते मामले चिंता का कारण हैं। जम्मू कश्मीर में प्रवासी मजदूरों की हत्या से संबंधित मामले लगातार देखे जा रहे हैं।

इसी साल 26 जुलाई को भारत सरकार ने संसद में जानकारी दी थी कि जनवरी 2017 से अब तक जम्मू-कश्मीर में 28 मजदूरों की हत्या कर दी गई। मारे गए 28 मजदूरों में से सात बिहार से, दो महाराष्ट्र से और एक झारखंड से था। एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में यह जानकारी दी थी। उन्होंने यह भी बताया था कि 2018 से 2021 के बीच घाटी में आतंकी वारदातों में कमी आई. 2018 में जहां 417 आतंकी वारदातें दर्ज की गई थीं, वहीं 2021 में यह संख्या 229 रही। उन्होंने कहा था कि जो कुछ टारगेट किलिंग की वारदातों में अल्पसंख्यकों और बाहरी मजदूरों पर हमले हुए, वे सीमा पार से प्रायोजित थे।

बीते सितंबर के तीसरे सप्ताह में आतंकियों ने गैर-कश्मीरी लोगों और कश्मीरी पंडितों को लक्षित कर कई हमले किए गए। 16 अगस्त को शोपियां के एक सेब के बागान में काम कर रहे दो कश्मीरी पंडित भाइयों को आतंकियों ने निशाना बनाया। आतंकियों ने उन पर गोलियां बरसा दीं। इस आतंकी वारदात में एक शख्स की मौत हो गई जबकि दूसरे को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 11-12 अगस्त की दरमियानी रात बांदीपोरा में बिहार के एक मजदूर को आतंकियों ने गोली मार दी। बांदीपोरा जिले के सोदनारा संबल इलाके में बिहारी मजदूर मोहम्मद अमरेज को आतंकियों गोली मारी थी।

अमरेज को जख्मी हालत में अस्पताल ले जाया गया था, जहां उसकी मौत हो गई थी। 2 जून को कुलगाम में एक बैंक मैनेजर पर हमला किया गया। 31 मई को कुलगाम में कश्मीरी हिंदू महिला टीचर रंजनीबाला की गोली मारकर हत्या की गई। 12 मई को राजस्व विभाग में काम करने वाले राहुल भट्ट को आतंकियों ने उनके दफ्तर में घुसकर गोली मार दी थी, जिससे उनकी मौत हो गए थी। राहुल की हत्या को लेकर कश्मीरों पंडितों ने विरोध प्रदर्शन किया था. मई में ही बडगाम जिले के हिशरू इलाके में टीवी एक्ट्रेस अमरीन बट की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उनके दस वर्षीय भतीजे फरहान जुबैर को भी आतंकियों ने बुरी तरह घायल कर दिया था। इनमें राहुल भट्ट की हत्या का आरोपी लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी लतीफ राथर पिछले दिनों सुरक्षबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था।

बीते जून में मीडिया के मार्फत सारे देश ने उन तस्वीरों को देखा था जिसमें कश्मीरी पंडितों और अन्य कर्मचारियों ने घाटी से पलायन शुरू कर दिया था। हालांकि पुलिस के जरिए सरकार इस पलायन को जबरन भी रोकने की कोशिश कर रही थी, लेकिन सरकारी कर्मियों के सामने कोई और विकल्प नहीं था। वे बेहद निराश, परेशान हैं, क्योंकि उन्हें आतंकी निशाना बनाकर मार रहे हैं। बहरहाल यह पलायन 1990 के दौर से भिन्न है।

इस बार समूचे परिवार नहीं उजड़ रहे हैं। दरअसल प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नियुक्त किए गए सरकारी कर्मचारी अब घाटी छोडऩे पर आमादा हैं। यदि बैंक मैनेजर विजय कुमार की हत्या की गई, तो ईंट भट्टा मजदूरों पर भी गोलियां बरसाई गईं। बिहार निवासी दिलखुश की मौत हो गई और पंजाब निवासी घायल अवस्था में अभी संघर्षरत है। बैंक मैनेजर राजस्थान में हनुमानगढ़ के निवासी थे और 45 दिन पहले ही उनकी शादी हुई थी। नवविवाहिता पत्नी की मन:स्थिति समझी जा सकती है।

आंतकियों के निशाने पर कश्मीरी और गैर-कश्मीरी सभी हैं। आतंकी इसे भी ‘जेहाद’ करार दे रहे हैं। वे भारत-समर्थकों को निशाना बना रहे हैं। आतंकी नहीं चाहते कि कश्मीर की आबादी में कोई बदलाव आए, उसके समीकरण बिगड़ें। बीते 12 मई को जिला मजिस्टेऊट के राजस्व कार्यालय में काम करने वाले राहुल भट्ट की हत्या के बाद करीब 2500 कश्मीरी पंडितों और अन्य कर्मचारियों ने घाटी से जम्मू की तरफ पलायन किया था।

उसके बाद 100 से अधिक लोगों ने पलायन किया। घाटी से पलायन के दृश्य टीवी चैनलों के माध्यम से देश-दुनिया ने देखे हैं। ऐसे में सहज सवाल है कि कश्मीरी पंडितों की घाटी में कभी घर-वापसी हो सकेगी? केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पांच जुलाई 2022 की तारीख तक जम्मू कश्मीर में कुल 82 विदेशी आतंकवादी और 59 स्थानीय आतंकी सक्रिय थे। एक अधिकारी ने बताया कि ये आतंकवादी मुख्य रूप से लश्कर ए तैयबा, इससे संबद्ध संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट के अलावा जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों से हैं।

विभिन्न आतंकी संगठनों ने पिछले चार वर्षों में जम्मू कश्मीर (Target Killing in Kashmir) में 700 स्थानीय युवाओं की भर्ती की है, जिनमें से 187 की 2018 में, 121 की 2019 में, 181 की 2020 में और 142 की 2021 में भर्ती की गई। इस साल जून के अंत तक, 69 युवाओं की आतंकी संगठनों ने भर्ती की है। वहीं, सुरक्षाबलों ने इस साल पांच जुलाई तक 55 मुठभेड़ में 125 आतंकवादियों को मार गिराया है।

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