चेन्नई/ए। तमिलनाडु (tamilnadu ias officer) के एक युवा के आईएएस अधिकारी बनने के संघर्ष की दास्तां अपने आप में अनोखी है। संघर्ष की यह कहानी उन तमाम यूपीएससी (upsc) की तैयारी करने वाले युवाओं को भी जवाब है, जो अपने चयनित न होने पर पारिवारिक आर्थिक परिस्थितियों का हवाला देते हैं।
तमिलनाडु (tamilnadu ias officer) के तंजावूर जिले के युवक शिवागुरू प्रभाकरन (ias shivaguru prabhakaran) के परिवार की माली हालत काफी खराब थी। मां बांस से टोकरियां बनाकर जैसे तैसे परिवार चलाती थी।
वहीं शिवागुरू के पिता शराब के नशे में धूत रहा करते थे। जिससे परिवार की जिम्मेदारी शिवागुरू प्रभाकरन (ias shivaguru prabhakaran) के भी कंधे पर आ गई। इन हालातों के बावजूद शिवागुरू को सिर्फ आईएएस बनने का लक्ष्य उसी तरह दिख रहा था जैसे अर्जुन को मछली की आंख। शिवागुरू ने हार नहीं मानी लकडिय़ां काटी, फर्नीचर बनाने काम भी किया। और इस तरह कमाए पैसे से अपनी पढ़ाई जारी रखी। दो साल तक उन्होंने लकडिय़ां काटने व अन्य मजदूरी के काम किए और पैसे इकट्ठे किए।
साथ ही पढ़ाई भी जारी रखी। आईआईटी से उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और यूपीएससी (upsc) की पढ़ाई शुरू की। पहले तीन प्रयत्नों में वे विफल रहे पर हार नहीं मानी और आखिर में चौथे अटेंप्ट में 2017 में 101वीं रैंक हासिल की और आईएएस बने।