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Tadmetla Kand : CM ने पेश की रिपोर्ट, घर जले पर किसने जलाए स्पष्ट नहीं, आयोग ने माना- आगजनी पुलिस का काम नहीं, जांच करेगी CBI

Tadmetla Kand: CM presented the report, who burnt the house but it is not clear, the commission accepted - arson is not the work of the police, CBI will investigate

Tadmetla Kand

रायपुर/नवप्रदेश। Tadmetla Kand : छत्तीसगढ़ के अति संवेदनशील सुकमा जिले के ताड़मेटला, मोरपल्ली और तिम्मापुरम गांवों में आदिवासियों के 250 घरों को जला दिया गया था। घरों को किसने जलाया, यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है। सीएम भूपेश बघेल ने ताड़मेटला मुठभेड़ और अग्निकांड के अलावा दोरनापाल में स्वामी अग्निवेश के साथ घटित घटना की जांच के लिए गठित विशेष न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट सदन में बुधवार को पेश कर दी। न्यायिक जांच आयोग ने स्वामी अग्निवेश पर दोरनापाल में हुए हमलों में भी पुलिस अफसरों को क्लीनचिट दिया है। आगजनी की CBI भी जांच कर रही है और उनके अभियोग पत्र में स्थिति स्पष्ट होने की बात कही गई है।

जस्टिस टीपी शर्मा की अध्यक्षता वाली (Tadmetla Kand) विशेष न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट ने ताड़मेटला मोरपल्ली तिम्मापुरम में ग्रामीणों के घरों को जलाने की घटना को स्वीकार किया गया है, लेकिन यह टिप्पणी भी की है कि मकान किसके द्वारा जलाए गए, इस संबंध में कोई साक्ष्य नहीं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 11 मार्च 2011 को मोरपल्ली गांव में पुलिस, सीआरपीएफ और कोबरा बटालियन के साथ नक्सली भी मौजूद थे और वहां पुलिस की नक्सलियों के साथ मुठभेड़ हुई। गांव में 31 मकान खाक हो गए, जिसकी वजह से ग्रामीणों को नुकसान हुआ। मकान पुलिस ने जलाए या नक्सलियों ने यह प्रमाणित नहीं हुआ। 

मुठभेड़ के बाद गांवों में लगी थी आग

तिम्मापुरम में 13 मार्च 2011 को पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई। यहां हेलिकाप्टर से कोबरा बटालियन और सीआरपीएफ को उतारा गया था। तिम्मापुरम गांव में 59 मकानों में आग लगी। चार-पांच मकान पुलिस के ग्रेनेड दागे जाने से जले थे। इन मकानों से पुलिस पर गोलीबारी हो रही थी। शेष मकान किसने जलाए यह पता नहीं। 16 मार्च को ताड़मेटला गांव में पुलिस, सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन की संयुक्त टीम के साथ नक्सलियों की मुठभेड़ हुई। यहां पर 160 मकान जलाए गए। यह मकान पुलिस ने जलाए या नक्सलियों ने यह प्रमाणित नहीं पाया जाता। इस मामले की सीबीआई जांच कर रही है। उनकी जांच के बाद अभियोगपत्र में स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

लिबरेटेड जोन में नक्सलियों की जनताना सरकार

आयोग के सामने तत्कालीन आईजी एसएसपी कल्लूरी ने उक्त क्षेत्र को नक्सलियों का लिबरेटेड जोन बताया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि लिबरेटेड जोन में पुलिस और प्रशासन की पहुंच नहीं है। अति संवेदनशील इलाकों में नक्सलियों द्वारा जनताना सरकार चलता है। उनके कलेक्टर, उनके पुलिस अधिकारी होते हैं। वे अपना शासन जन मिलिशिया संघम के माध्यम से चलाते हैं। वहीं स्वामी अग्निवेश पर हुए हमले में पुलिस अफसरों को क्लीन चिट दे दिया है। यह विरोध एसआरपी कल्लूरी अथवा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रायोजित होने का कोई स्वीकार योग्य साक्ष्य नहीं मिला है। स्वामी अग्निवेश को पुलिस ने पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराई थी। विधानसभा में पेश की गई जांच रिपोर्ट तत्कालीन आईजी कल्लुरी को क्लीन चिट भी देती है। 

पुलिस मकान जलाने का जोखिम नहीं ले सकता

आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक (Tadmetla Kand) इन गांवों में मकान दूर-दूर बने हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिस गांव में एक भी नक्सली मौजूद है, वहां पुलिस नहीं जा सकती। नक्सली क्षेत्र में पुलिस 50 लोगों के साथ भी नहीं जा सकती। उसे अधिक बल के साथ जाना होगा। नक्सल क्षेत्र में पुलिस गांव में घूम-घूमकर मकान जलाने का जोखिम नहीं ले सकता। पहले भी पुलिस ने कभी कोई मकान नहीं जलाया था। आयोग ने माना है कि पुलिस ने आगजनी नहीं की। पुलिस ने कहा था कि नक्सलियों ने आग लगाई, लेकिन आयोग ने उसको भी प्रमाणित नहीं माना है।

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