नई दिल्ली, 19 जून| Swiss Bank Indian Money : भारतीयों द्वारा विदेशी बैंकों में रखे गए धन को लेकर वर्षों से बहस चलती रही है, लेकिन 2024 में जो आंकड़े सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। स्विट्ज़रलैंड में भारतीय नागरिकों और कंपनियों द्वारा जमा धन में साल भर में तीन गुना से अधिक वृद्धि हुई है। अब सवाल यह उठ रहा है — क्या यह निवेश है, व्यवस्था से अविश्वास, या वैश्विक कर व्यवस्था का नया दौर?
2024 में रिकॉर्ड जमा: ₹37,600 करोड़ से ज्यादा
2023 में जहाँ यह रकम लगभग ₹11,000 करोड़ (1.04 अरब फ्रैंक) थी, वहीं 2024 में यह बढ़कर ₹37,600 करोड़ (3.5 अरब फ्रैंक) पहुंच (Swiss Bank Indian Money)गई। यह वृद्धि सिर्फ ग्राहकों के व्यक्तिगत खाते नहीं, बल्कि संस्थागत ट्रांजैक्शन, बैंकिंग नेटवर्क और ट्रस्टों के माध्यम से भी हुई है।
क्या वाकई ‘काला धन’? नहीं… पर बहस जरूर है
इन आंकड़ों में काले धन का कोई सीधा उल्लेख नहीं है, लेकिन जमा की मात्रा में अचानक उछाल कई तरह के सवाल जरूर खड़े करता है। यह साफ है कि ये पैसे ‘काले’ नहीं माने गए, लेकिन ‘उद्भव स्रोत’ को लेकर पारदर्शिता अब भी एक चुनौती है।
बैंकों और ट्रस्ट के जरिये हुआ सबसे ज्यादा फंड मूवमेंट
बैंकिंग चैनल से : 3.02 अरब स्विस फ्रैंक
ट्रस्ट खातों से : 4.1 करोड़ फ्रैंक
कस्टमर अकाउंट्स से : 34.6 करोड़ फ्रैंक
भारत का स्थान 48वां, लेकिन पड़ोसी देश भी पीछे नहीं
भारत फिलहाल स्विस बैंकों में विदेशी धन के मामले में 48वें पायदान पर है। दिलचस्प बात ये है कि बांग्लादेश का जमा धन 1.8 करोड़ से बढ़कर 58.9 करोड़ फ्रैंक हो (Swiss Bank Indian Money)गया, जो पिछले वर्षों की तुलना में आश्चर्यजनक उछाल है। पाकिस्तानियों के पास 27.2 करोड़ फ्रैंक जमा हैं।
ऑटोमैटिक डेटा एक्सचेंज के बावजूद उछाल क्यों?
2018 से भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच आर्थिक जानकारी का स्वचालित आदान-प्रदान शुरू हो चुका है। बावजूद इसके, इतनी तेज़ी से पैसा जमा होने के पीछे के कारण अभी भी गहराई से विश्लेषण की मांग करते हैं।