रायपुर, 19 मई| Suspicious Death In Raipur : सदर बाजार की गलियों में आज केवल ख़ामोशी नहीं थी, वह मातम था, जो दीवारों पर छपा था। पांच दिन पहले जिसने अपने 12 वर्षीय बेटे की असमय मौत का शोक सहा, उसी माँ ने आज अपने जीवन का अंत कर लिया। यह केवल एक आत्महत्या नहीं, बल्कि एक माँ की हार थी – उस पीड़ा के आगे जो शब्दों से परे है।
सोना सोनी, जो एक प्रतिष्ठित सराफा कारोबारी परिवार से थीं, आज अपने ही घर की तीसरी मंज़िल पर फंदे से झूलती मिलीं। लेकिन यह कहानी जितनी सीधी दिखती है, उतनी है नहीं। पीछे छिपे हैं कई सवाल, कुछ साजिशों की परछाइयाँ, और एक ऐसा मानसिक संघर्ष जिसे समाज अक्सर “नज़रअंदाज़” कर देता है।
परिवार के लोग सुसाइड नोट की ओर इशारा करते हैं, लेकिन मायके पक्ष इसे एक “सोची-समझी साजिश” बता रहा(Suspicious Death In Raipur)है। उन्होंने आरोप लगाए कि तंत्र-मंत्र, अंधविश्वास और घरेलू कलह के पीछे यह त्रासदी रची गई है।
एक माँ का जीवन दो हिस्सों में बँट गया—पहले बेटे के चले जाने का सदमा, और फिर उस दुःख से उबरने की असमर्थता। पुलिस की जांच जारी (Suspicious Death In Raipur)है। लेकिन एक सवाल समाज से भी पूछा जाना चाहिए—क्या हम मानसिक पीड़ा से जूझ रहे लोगों को समय रहते सुनते हैं?