Supreme Court Verdict : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के एक पूर्व न्यायिक अधिकारी की अप्रैल 2016 में बर्खास्तगी को उचित मानते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की पत्नी द्वारा उच्च न्यायालय (High Court) के कुछ वरिष्ठ न्यायाधीशों सहित कई व्यक्तियों के खिलाफ दायर आपराधिक शिकायत में सभी प्रकार के आरोप लगाए गए हैं। पीठ ने याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील से कहा कि ऐसे लोग किसी भी सरकारी सेवा में रहने के लायक नहीं है, न्यायिक सेवा की तो बात ही छोड़िए।
शिकायत में हर किसी को गाली देने के मामले पर गौर करते हुए पीठ ने कहा कि क्या आप किसी को भी गाली दे सकते हैं। ये किस तरह का आरोप है। ये कहते हुए पीठ ने याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) की तरफ से अगस्त 2024 में याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।
याचिकाकर्ता को शुरू में एक सिविल जज (Civil Judge) के तौर पर दिसंबर 2005 में नियुक्ति मिली थी और उसे 2015 में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर प्रोन्नत किया गया था। मार्च 2016 में उक्त जज की पत्नी ने उसके खिलाफ आपराधिक शिकायत (Criminal Complaint) की। इस पर रजिस्ट्रार जनरल ने हाई कोर्ट की पूर्ण अदालत की बैठ में रिपोर्ट पेश की और जनहित में उसे सेवा से बर्खास्त करने की सिफारिश की। इस पर राज्य सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया।
उन्होंने हाई कोर्ट में इसे चुनौती दी, जिसने ये कहते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता की अपनी नियुक्ति के बाद से ही अपने सहकर्मियों और वरिष्ठों पर प्रतिकूल टिप्पणी करने की आदत थी।