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Supreme Court on Economic Policy : आर्थिक नीतियों में दखल नहीं देता सुप्रीम कोर्ट, जब तक मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो

Supreme Court on Economic Policy

Supreme Court on Economic Policy

भारत के प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई (CJI B.R. Gavai) ने कहा है कि न्यायपालिका देश में कानून के शासन (Rule of Law) की संरक्षक है और सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court of India) ने हमेशा यह सुनिश्चित किया है कि वह आर्थिक नीतियों में तभी हस्तक्षेप करे, जब संविधान या मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा हो।

वे शनिवार को वाणिज्यिक न्यायालयों के स्थायी अंतरराष्ट्रीय मंच (Permanent Forum of Commercial Courts) की बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक और कॉरपोरेट मामलों (Corporate and Commercial Law) में पारदर्शिता, निष्पक्षता और नियामक संतुलन बनाए रखना न्यायपालिका की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

आर्थिक नीतियों पर न्यायिक संयम आवश्यक

सीजेआई गवई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का रुख हमेशा स्पष्ट रहा है कि आर्थिक नीतियों में अदालत तभी दखल देती है जब कोई नीति संविधान के प्रावधानों या नागरिकों के मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) का उल्लंघन करती हो। उन्होंने बताया कि अदालतें किसी नीति की आर्थिक उपयोगिता (Economic Policy Review) पर निर्णय नहीं करतीं, बल्कि इस बात पर ध्यान देती हैं कि नीति संविधान की सीमाओं के भीतर है या नहीं।

विधायिका की मंशा के अनुरूप हो कानून की व्याख्या

जस्टिस गवई ने कहा कि किसी भी वाणिज्यिक कानून (Commercial Law Interpretation) की व्याख्या न्याय, जनहित और विधायिका की मंशा के अनुरूप होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने हर उस प्रयास को खारिज किया है जिसमें कानूनी या कॉरपोरेट ढांचे (Corporate Structure Abuse) का दुरुपयोग करने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि अदालत ने हमेशा इस बात का ध्यान रखा कि कानून व्यवस्था और आर्थिक स्वतंत्रता के बीच नाजुक संतुलन (Regulatory Balance) बना रहे, जिससे निवेशक का विश्वास और जनहित दोनों सुरक्षित रहें।

राज्य की शक्ति भी संविधान की सीमा में

सीजेआई ने आगे कहा कि राज्य की शक्तियां, विशेष रूप से कराधान (Taxation) और नियामक नियंत्रण (Regulatory Power) के मामलों में, स्पष्ट कानूनी आधार पर टिकनी चाहिए। उन्होंने जोड़ा कि किसी भी आर्थिक नियामक संस्था को वित्तीय स्थिरता और जनता का विश्वास बनाए रखना जरूरी है, लेकिन उनके कदम हमेशा उचित, तर्कसंगत और आनुपातिक (Proportional Action) होने चाहिए। जस्टिस गवई ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने लगातार यह संतुलन बनाए रखा है कि आर्थिक स्वतंत्रता (Economic Freedom) को संरक्षित रखते हुए नियामक जवाबदेही सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कानून का शासन तभी सार्थक है जब आर्थिक नीतियां पारदर्शी, न्यायोचित और जनता के हित में हों।

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