नई दिल्ली/नवप्रदेश। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने कोरोना (corona) को लेकर बुधवार को बड़ा आदेश दिया है। भारत में वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी के बीच शीर्ष अदालत ने कहा है कि कोरोना जांच (corona test) मुफ्त होनी चाहिए।
कोर्ट (supreme court) ने कहा है कि किसी व्यक्ति को कोरोना (corona) वायरस का संक्रमण हुआ है कि नहीं, इसकी जांच (corona test) मुफ्त की जानी चाहिए। इससे पहले सरकार ने कोरोना टेस्ट चार्ज के लिए गाइडलाइन जारी कर रखी है। केंद्र सरकार की ओर से 21 मार्च को निजी लैब को प्रत्येक कोरोना जांच के लिए अधिकतम मूल्य 4,500 रुपये तक रखने की सिफारिश की गई थी।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोरोना जांच के मद्देनजर निजी प्रयोगशालाओं के लिए जांच के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके मुताबिक एनएबीएल प्रमाणित सभी निजी प्रयोगशालाओं को यह जांच करने की अनुमति दी गई है।
निजी लैब अधिकतम 4500 ही वसूल सकते हैं
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से 21 मार्च की रात को इस संबंध की अधिसूचना जारी की गई है। सरकारी गाइडलाइन के मुताबिक, कोरोना संक्रमण की जांच के लिए अधिकतम 4,500 रुपये तक ही वसूले जा सकते हैं। इसके तहत, किसी संदिग्ध मरीज की स्क्रीनिंग के लिए 1,500 रुपये से ज्यादा नहीं लिया जा सकता है।
पुष्टि के लिए 3000 रुपए
अगर स्क्रीनिंग टेस्ट में रिजल्ट पॉजिटिव आए और उसकी पुष्टि के लिए फिर से जांच करनी हो तो इसके लिए 3,000 हजार रुपये लिए जा सकते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि दिशानिर्देश का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
देश में संक्रमितों की संख्या बढ़कर पांच हजार के पार हो गई है। सरकार की ओर से टेस्ट की संख्या बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। अब कोरोना टेस्ट के पूर्व एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि किस व्यक्ति को वास्तव में कोरोना हो सकता है। एंटीबॉडी टेस्ट पॉजिटिव पाए जाने पर ऐसे लोगों का पहले कोरोना टेस्ट कराए जाने पर जोर दिया जा रहा है।