नासा अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स पृथ्वी पर लौटीं
नई दिल्ली। Sunita Williams return to Earth: नासा ने अंतरिक्ष स्टेशन पर फंसे अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने के कई प्रयास किये, लेकिन वे सभी विफल रहे। पृथ्वी से अंतरिक्ष यान भेजने की योजनाएं अक्सर अंतरिक्ष यान में खराबी के कारण विफल हो जाती थीं। यहां तक कि कल के स्पेसएक्स प्रक्षेपण का भी एक दिन पहले तालियों से स्वागत किया गया था। व्यावसायिक प्रयोग के तौर पर आठ दिनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर गए अंतरिक्ष यात्री, जिस अंतरिक्ष यान पर वे सवार थे, उसमें तकनीकी खराबी आने के कारण नौ महीने तक अंतरिक्ष में फंसे रहे। भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स और उनकी साथी अंतरिक्ष यात्री आज पृथ्वी पर लौट आईं।
उन्हें ले जा रहा कैप्सूल फ्लोरिडा महासागर में उतरा और सभी ने राहत की सांस ली। हालाँकि, सात मिनट बीतने के बाद ही नासा सहित सभी को कल्पना चावला की दुर्घटना याद आ गई। वह क्षण फिर आया, न केवल भारतीयों के जीवन में बल्कि विश्व के जीवन में भी, लेकिन कैप्सूल ने उस खतरे को पार कर लिया और पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश कर गया। बुधवार की सुबह स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल सुनीता (Sunita Williams return to Earth) सहित चार अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर सफलतापूर्वक वापस लौट आया। हजारों किलोमीटर की यात्रा 17 घंटे में पूरी की गई। हालाँकि पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश के दौरान 7 मिनट ऐसे भी थे जब सभी ने अपनी सांस रूक गई थी। क्योंकि तेज गति से यात्रा कर रहे कैप्सूल का नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूट गया था।
नासा ने अंतरिक्ष स्टेशन पर फंसे अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने के कई प्रयास किये, लेकिन वे सभी विफल रहे। पृथ्वी से अंतरिक्ष यान भेजने की योजनाएं अक्सर अंतरिक्ष यान में खराबी के कारण विफल हो जाती थीं। यहां तक कि कल के स्पेसएक्स प्रक्षेपण का भी एक दिन पहले तालियों से स्वागत किया गया था। प्रक्षेपण यान में खराबी आ गई थी। इसलिए गुरुवार के लिए निर्धारित उड़ान रद्द कर दी गई। अगले दिन रॉकेट प्रक्षेपित किया गया।
इतनी सारी चुनौतियों को पार करते हुए भी नासा और स्पेसएक्स (Sunita Williams return to Earth) के वैज्ञानिकों ने इस मिशन को सफल बनाया। लेकिन अंतरिक्ष यान के पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के चरण ने कई लोगों को दुखी कर दिया। कल्पना चावला के साथ 22 साल पहले जो त्रासदी हुई थी, आज भारतीयों के मन पर अंकित यह दर्दनाक घाव उस घटना की फिर से याद दिला रहा है। कल्पना चावला का कैप्सूल पृथ्वी में प्रवेश के चुनौतीपूर्ण चरण में जीवित नहीं रह सका। इसमें उसकी मृत्यु हो गई।
सुनीता विलियम्स का कैप्सूल पृथ्वी के बाहरी वायुमंडल से टकराया। घर्षण के कारण कैप्सूल इतना गर्म हो गया कि तापमान तुरन्त 1900 डिग्री तक पहुँच गया और नासा का कैप्सूल से सात मिनट के लिए संपर्क टूट गया। सुबह 3.13 बजे सम्पर्क टूट गया और यह स्पष्ट नहीं हो सका कि अंतरिक्ष यान कहां है। नासा के वैज्ञानिक लगातार संपर्क बनाने की कोशिश कर रहे थे। 3.20 बजे संपर्क बहाल हुआ और सभी ने राहत की सांस ली।
22 साल पहले क्या हुआ था
इन सात मिनटों को ब्लैकआउट माना जाता है। वे बहुत निर्णायक हैं। किसी बाहरी वस्तु को पृथ्वी के मेंटल में प्रवेश करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। इस समय तापमान में वृद्धि के कारण दुर्घटना की संभावना अधिक होती है। आज से ठीक 22 साल पहले, फरवरी 2003 में, भारत ने यह झील खो दी थी। नासा का कोलंबिया अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लौट रहा था। वहां से कल्पना चावला पृथ्वी पर लौट रही थीं। जब उनका अंतरिक्ष यान पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया तो वह इन तापमानों को सहन नहीं कर सका और दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
ख़तरा कैसे उत्पन्न होता है?
जब कोई अंतरिक्ष यान पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है तो उसकी गति 28,000 किमी/घंटा होती है। जब कैप्सूल इतनी गति से नीचे उतरता है, तो उसमें घर्षण होता है और उसका तापमान बढ़ जाता है। यह भी अनियंत्रित था। इस दौरान कंट्रोल रूम से भी संपर्क टूट जाता है। इस प्रभाव को झेलने पर ही अंतरिक्ष यान सुरक्षित रूप से उतर सकता है।