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Streptococcal Toxic Shock Syndrome In Japan : STSS का कहर एपिडेमिक बन सकता है, पैनडेमिक नहीं

Streptococcal Toxic Shock Syndrome In Japan :

Streptococcal Toxic Shock Syndrome In Japan :

कोरोना की तरह यह वायरस नहीं बल्कि बैक्टीरियल इन्फेक्शन से होता है,

नवप्रदेश डेस्क। Streptococcal Toxic Shock Syndrome In Japan : कोरोना के बाद फ़िलहाल सबसे ज्यादा खतरनाक और दर्दनाक बैक्टीरिया STSS कहर बरपा रहा है। लेकिन चिकित्सा जानकारों के मुताबिक STSS का कहर एपिडेमिक बन सकता है, कोरोना टाइप पैनडेमिक नहीं। जापान में मांस खाने वाले इस बैक्टीरिया का कहर लोगों में देखा जा रहा है। इसके पीड़ित मरीज की मात्र 48 घंटे में मौत हो जाती है। इस साल 2 जून तक इसके लगभग 1000 मामले सामने आ चुके हैं।

सीनियर कंसल्टेंट इंटरनल मेडिसिन नारायणा हॉस्पिटल गुरुग्राम के डॉ. पंकज वर्मा के मुताबिक STSS कोरोना की तरह महामारी का स्वरूप नहीं ले सकता है। यह बहुत अधिक फैला तो किसी क्षेत्र में ही एपिडेमिक बन सकता है, पैनडेमिक नहीं बन सकता है क्योंकि यह बैक्टीरियल इंफेक्शन है। फि भी इसके रिस्क फैक्टर्स STSS से किसी भी उम्र के लोग संक्रमित हो सकते हैं।

हालांकि बच्चों और बूढ़ों को इससे अधिक खतरा रहता है। इसकी एक बड़ी वजह उनकी कमजोर इम्यूनिटी है। छोटे बच्चों का इम्यून सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं हुआ होता है। जबकि बुजुर्गों का इम्यून सिस्टम पूरी तरह एक्टिव नहीं रह जाता है। इसलिए दोनों की इम्यूनिटी कमजोर होती है।

स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम क्या है?

स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम एक रेयर हेल्थ कंडीशन है। यह ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया के कारण होती है। ये बैक्टीरिया टॉक्सिक पदार्थ छोड़ते हैं, जो ब्लड स्ट्रीम में मिल जाता है और बॉडी ऑर्गन्स को नुकसान पहुंचाता है। ये बैक्टीरिया हमारे मांस को ही खाते हैं। इससे हार्ट, लिवर और किडनी जैसे महत्वपूर्ण ऑर्गन्स प्रभावित हो सकते हैं।

ऐसे बरतें सावधानी तो बचेंगे

0 पीरियड्स के दौरान टैम्पून की बजाय सैनिटरी पैड का उपयोग करना बेहतर है। अगर दिन में टैम्पून ही इस्तेमाल करने में सहज हैं तो सोते समय पैड का उपयोग करें।
0 हर चार से आठ घंटे में टैम्पून बदलते रहना चाहिए। अगर पीरियड्स फ्लो अधिक है तो इसे अधिक बार बदलने की जरूरत पड़ सकती है।
0 संक्रमण से बचने के लिए सर्जरी के घावों को साफ रखें और इनकी रेगुलर ड्रेसिंग करवाएं।
0 अगर शरीर में कहीं भी कोई घाव, असामान्य सूजन, लालिमा या रैशेज दिख रहे हैं तो इसका तुरंत इलाज करवाएं।
0 एक बार स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम का शिकार बन चुके लोगों को इसके दोबारा संक्रमण की अधिक आशंका रहती है। इसलिए उन्हें अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।
0 यह एक तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन है, इसलिए बार-बार हाथ धुलना जरूरी है। साफ-सफाई ही इससे बचने का सबसे बेहतर उपाय है।

लक्षण देखकर करवाएं जांच J8 वैक्सीन से फायदा

STSS के मुख्य लक्षण अचानक तेज बुखार, फ्लू जैसे लक्षण, दस्त और लो बीपी है। अगर एक साथ ये सभी लक्षण दिख रहे हैं तो डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए। अगर समय पर इसका पता लग जाए तो एंटीबायोटिक्स, लिक्विड्स और दवाओं की मदद से आसानी से इलाज हो सकता है। इसके अलावा बाजार में J8 नाम की वैक्सीन भी उपलब्ध है।

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