Stop Pollution : इस बार भी सुप्रीम कोर्ट ने दीपावली पर पटाखें जलाने के लिए दिशा निर्देश जारी किए थे। जिसमें पटाखे जलाने की अवधी निर्धारित की गई थी। किन्तु सुप्रीम कोर्ट के आदेश की हमेशा की तरह इस बार भी अवहेलना की गई। देश भर में जमकर पटाखें फूटे। लगभग 60 हजार करोड़ रुपए के पटाखें बिके कई राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पटाखें चलाने के लिए 2 से 3 घंटे की अवधि निर्धारित की थी लेकिन राज्य सरकार के आदेशों को भी लोगों ने ठेंगे पर रखा।
धनतेरस से लेकर भाईदूज पूरे दिन शाम से लेकर आधी रात तक पटाखें फूटते रहे। देश की राजधानी नई दिल्ली में इस आतिशबाजी के कारण एक बार फिर वायु प्रदूषण खतरनाक (Stop Pollution) स्तर तक पहुंच गया। कमोवेश यही स्थति अन्य महानगरों और शहरों की भी रही। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कराना सरकार की जिम्मेदारी होती है। लेकिन सरकारें भी इस मामले में उदासीन रवैय्या अपनाए रखती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन हो रहा है या उल्लंघन किया जा रहा है इस बात की मानिटरिंग करने की कोई व्यवस्था नहीं की जाती।
पुलिस के पास वैसे भी डेरों काम होते है। वह भी पटाखें जलाने वालों की निगरानी नहीं कर सकती। ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उडऩा सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवार्ई होनी ही चाहिए। लेकिन जब तक इसके लिए जिम्मेदारी तय नहीं की जाएगी। तब आखिर किसके खिलाफ कार्रवाई हो पाएगी। देश में करोड़ों लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर पटाखें जलाए है उन सब की पहचान करना औैर उन्हें सजा देना असंभव की हद तक कठिन काम है।
इसलिए यह आवश्यक है कि जनहित में सुप्रीम कोर्ट जो भी निर्देश देता है या गाइड लाइन जारी करता है उसका कड़ाई पूर्वक पालन कराने के लिए प्रशासनिक अमले की जिम्मेदारी तय हो। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश और राज्य सरकारों के निर्र्देश बेमानी सिद्ध होगें। गौरतलब है कि वायुप्रदूषण रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने औैर भी कई निर्र्देश दिए है। लेकिन उनका भी पूरी तरह पालन नहीं हो रहा है।
ध्वनि प्रदूषण रोकने (Stop Pollution) लिए भी सुप्रीम कोर्र्ट ने बहुत पहले दिशा निर्देश जारी किए है जिसमें रात्रि १० बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक किसी भी प्रकार के ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग पर पाबंदी लगाई गई है। लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है। आधी रात तक डीजे की कान फोडू आवाज कही भी सुनाई पड़ती है। कई स्थानों पर तो धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम पूरी रात चलते हैं। इस मामले में भी राज्य सरकारों की निष्क्रियता गंभीर चिंता का विषय है। सुप्रीम कोर्ट को ही अब इस मामले में दखल देना होगा। उसे कोई भी दिशा निर्देश जारी करने के साथ ही उसके पालन की जिम्मेदारी भी तय करनी होगी और जिम्मेदारी से बचने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी सुनिश्चित करनी होगी।