-यह देश चलाने का तरीका नहीं है; हम धीरे-धीरे तानाशाही की ओर बढ़ रहे ह
मुंबई। Special Session: केंद्र सरकार द्वारा संसद का 5 दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है। मोदी सरकार के इस फैसले के बाद कई तर्क-वितर्क हो रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि केंद्र सरकार ने संसद का यह विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक बुलाया है। इस सेंसन में 5 सत्र होंगे। अब विपक्ष ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। शिवसेना ने कहा है कि मोदी सरकार का ये काम हिंदू विरोधी काम है।
अब कांग्रेस ने भी विशेष सत्र के जरिए मोदी सरकार पर निशाना साधा है। मुंबई में भारत अघाड़ी की बैठक के दौरान मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने मोदी सरकार पर निशाना साधा। साथ ही उन्होंने सरकार के 5 दिवसीय विशेष धरने की भी आलोचना की।
केंद्र की मोदी सरकार ने न तो विपक्षी दल की बात मानी और न ही बिजनेस एडवाइजरी कमेटी से पूछा। बिना किसी से पूछे संसद के विशेष सत्र की तारीख की घोषणा कर दी गयी। जब मणिपुर जल रहा था, चीन उसकी ज़मीन पर कब्ज़ा कर रहा था लेकिन कोई विशेष सत्र नहीं बुलाया गया। नोटबंदी के दौरान भी नहीं, कोरोना के कारण लोगों के पलायन के दौरान भी उन्होंने विशेष सत्र नहीं बुलाया।
हालांकि, मल्लिकार्जुन खडग़े ने मोदी सरकार की नीति की आलोचना करते हुए कहा कि अब ये विशेष सत्र अचानक बुलाया गया है। मुझे नहीं पता कि सरकार का सटीक एजेंडा क्या है। खडग़े ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, यह देश चलाने का तरीका नहीं है, हम धीरे-धीरे तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं।
इस बीच राजनीतिक हलके में खबर है कि केंद्र सरकार द्वारा बुलाए गए विशेष सत्र में सरकार एक देश, एक चुनाव बिल ला सकती है। साथ ही एक राष्ट्र एक चुनाव पर भी कई वर्षों से चर्चा हो रही है। सरकार जहां इस बिल को पास कराने के मूड में है वहीं राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं।
इसलिए अब मोदी सरकार के विशेष सत्र पर चर्चा हो रही है। अखिल भारतीय बैठक के लिए 28 विपक्षी दलों के नेता मुंबई आए हैं। इस बीच इस खबर को देखने के बाद कई सांसदों और पार्टियों ने आक्रामक रुख अपनाते हुए इसका विरोध किया।