महिला दिवस पर विशेष महिला संघर्ष को नमन
कवर्धा। Special on Women’s Day: ” दिल भी जिद पर अड़ा है किसी बच्चे की तरह, या तो सब कुछ ही इसे चाहिए या कुछ भी नही।” इस गजल की पंक्तियों में वर्तमान महिला संघर्षों का जुनून महसूस होता है। महिलाएं कमर कस कर सबकुछ पाने के लिए तैयार हो चुकी हैं। जिले की ऐसी ही सफल महिला अधिकारी के संघर्षों, अनुभवों व सफलता के लिए उनके जिद की कहानी आज हम यहां लेकर आये हैं।
विमला नावरिया
भारतीय सिविल लेखा सेवा की सहायक महालेखा नियंत्रक एवं सहायक नोडल अधिकारी
सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली के पद पर राज्य निदेशालय,रायपुर में पदस्थ श्रीमती विमला नावरिया की। इनके संघर्ष से समाज की उन महिलाओं को प्रेरणा मिलेगी जो खुद को आत्मनिर्भर बनाने व अपनी मंजिल पाने के लिए प्रयासरत हैं।
बकौल श्रीमती विमला नावरिया (Special on Women’s Day) वे राजस्थान के जयपुर जिले की एक छोटे से गांव वाटिका में पली-बढ़ीं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी गांव के ही स्कूल में हुआ। एजुकेशन को लेकर परिवार का रुख काफी उदासीन रहा इसके बावजूद वे अपनी जिद व क्लास में फस्ट आने के वादे के साथ पढ़ती गईं। एक पैर पोलियो की समस्या से ग्रसित होकर भी उन्होंने हिम्मत नही हारी।
अपनी पढ़ाई से व योग्यताओं से उन्होंने लोगों के उस ताने को भी विराम दे दिया, जिसमें उन्हें फिजिकल चैलेंजिंग होकर कुछ न कर पाने का हताशा दिया जाता रहा। वे उन मनोदशाओं को भी बदलने की जिद लेकर चल रही थीं ,जिसमें लड़कियों के अधिक पढ़ लेने से समाज में उसकी बराबरी का लड़का न मिल पाने की सोच निहित होती है।
उन्होंने अपनी शिक्षा के प्रति लगन को किसी भी हालात में कम नही होने दिया , नतीजा यह रहा कि वे तीन अलग-अलग प्रशासनिक पदों पर सेवा देने के बाद अपनी च्वाइस के वर्तमान पद पर आसीन हैं। श्रीमती विमला मानती हैं कि एक लड़की होने के नाते आपको लड़को से कुछ ज्यादा मेहनत करके दिखाना पड़ता है। बात चाहे घर की हो ,दफ्तर की या स्कूल-कॉलेज की हर जगह लड़कियों को अनेक चैलेंज फेस करना पड़ता है।
एक माँ, पत्नी व घरेलू महिला के रूप में नावरिया
जिला वनमण्डल अधिकारी दिलराज प्रभाकर की धर्म पत्नी श्रीमती विमला एक पत्नी, एक मां और घरेलू महिला के रूप में किन बातों को ज्यादा तवज्जों देती हैं, यह जानने के लिए हमने उनके पति व बच्चों व घरेलू सर्वेंट्स से बातचीत की जिसमें एक बात सामने निकलकर आई कि वे अपने हर रोल को धैर्य पूर्वक, दिल से निभाती हैं।
श्री प्रभाकर बताते हैं कि दोनों के जॉब में होने के कारण बच्चों को कभी कोई कम्प्रोमाइज न करना पड़े यह पहली प्राथमिकता रही। दोनों ही एक-दूसरे के जॉब के दायरों को समझकर कार्य करते हैं, जिसकी वजह से समस्याएं कम हुई। इस बीच यदि कोई समस्या हुई भी तो धैर्य पूर्वक सोचसमझकर आपसी समझ से समस्या का हल कर लिया गया।
अपने कार्यक्षेत्र में काफी उदार और सौम्य व्यवहार के लिए जानी जाती हैं विमला
व्यक्तिगत जीवन में विमला (Special on Women’s Day) जितनी सरल व सुलझी हुई हैं, उसका असर उनके कार्यक्षेत्र में भी देखने को मिलता है। कुछ घटनाओं को याद करते हुए वे कहती हैं हमें एक-दूसरे की मदद जरूर करनी चाहिए , अपने किसी कर्मचारी की मौत के बाद उसकी पत्नी को अपने हक के लिए भटकता देख विमला ने उसकी मदद करने की ठानी।
उन्होंने महिला को उसका हक दिलाने में मदद की और समक्ष भी बनाया। वे इस घटना के बाद से मोटिवेशनल काउंसलिंग करने की शुरुआत भी की हैं। खास तौर पर उन महिलाओं की काउंसलिंग वे करती हैं जिन्हें करियर बनाते-बनाते संघर्षों के चलते उदासीनता झेलना पड़ता है।
विशेष उपलब्धियां
- श्रीमती विमला नावरिया की उपलब्धियों की गिनती वैसे तो अनगिनत हैं फिर भी मुख्य रूप से उनकी मेहनत को हम इस तरह समझ सकते हैं-
- इतिहास में एम.ए. और एलएलबी की शिक्षा के बाद
- राजस्थान लेखा सेवा, २००६ (राजस्थान लोक सेवा आयोग),
- प्रशासनिक अधिकारी, रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, २००८ (यूपीएससी),
- भारतीय रक्षा लेखा सेवा, २०११ (यूपीएससी),
- भारतीय सिविल लेखा सेवा, २०१२ (यूपीएससी) में चयनित।
रायपुर आने से पहले नई दिल्ली में महालेखा नियंत्रक कार्यालय में पदस्थापना रही। रायपुर में नवंबर २०१४ से प्रथम पदस्थापना सहायक लेखा नियंत्रक के तौर पर छत्तीसगढ़ आयकर विभाग में हुई, जिसमें आयकर विभाग, छत्तीसगढ़ का बजट, राजस्व तथा व्यय प्रबंधन की जिम्मेदारी का निर्वहन किया। फिर अप्रैल २०१७ से वर्तमान तक छत्तीसगढ़ राज्य के सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पी.एफ.एम.एस.), राज्य निदेशालय, रायपुर में सहायक महालेखा नियंत्रक एवं सहायक नोडल अधिकारी के रूप में पदस्थ हैं।
सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली वेब आधारित ऑनलाइन सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है जोकि वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के व्यय विभाग में महालेखा नियंत्रक द्वारा लागू किया जाता है। इसमें बजट प्रदाय करने वाली एजेंसी के द्वारा जारी राशि से लेकर अंतिम हितग्राही तक को मिले मजदूरी अथवा सामग्री के हुए भुगतान राशि की ट्रेकिंग की जाती है।
इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि यदि बजट पाने वाली एजेंसी की संपूर्ण राशि व्यय नहीं होती है तो, शेष बची राशि को किसी दूसरी महत्वपूर्ण योजना तथा अन्य एजेंसी जिसको अतिरिक्त बजट की आवश्यकता हो, वहां प्रदाय किया जा सकता है। इसका सीधा लाभ शासन को यह रहेगा कि विभिन्न योजनाओं के लिए जो लोन लिया जाता था, इन योजनाओं की बची हुई राशि को उनमें से कई महत्वपूर्ण जनहित से जुड़ी योजनाओं में प्रदाय किया जा सकता है।
इस प्रकार लोन पर अनावश्यक ब्याज की बचत तो होगी ही, साथ ही दूसरी योजनाओं के लिए लिए जाने वाले लोन तथा उस पर आने वाले ब्याज जैसे अतिरिक्त आर्थिक भार में कटौती होगी। इस प्रकार शासन की आर्थिक मित्तव्यता तथा विभिन्न योजनाओं की कार्यकुशलता बढ़ेगी। विमला नावरिया तथा उनकी टीम के द्वारा पी.एफ.एम.एस. के माध्यम से कोविड-१९ (कोरोना काल) में वित्तीय वर्ष २०२०-२०२१ में फरवरी २०२१ तक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में लगभग २७० करोड रुपए का २४ लाख हितग्राहियों को लाभ छत्तीसगढ़ राज्य में मिला है।
स्कूल शिक्षा विभाग के प्री मैट्रिक तथा पोस्ट मैट्रिक स्तर के ५६५०० स्कूलों के २२ लाख छात्र- छात्राओं को छात्रवृत्ति दी गई। समाज कल्याण विभाग में ६५०००० हितग्राहियों को विभिन्न योजनाओं में भुगतान किया गया है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग में २१ लाख हितग्राहियों को भुगतान किया गया है तथा मनरेगा का पूरा भुगतान डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पी.एफ.एम.एस.) के अंतर्गत किया गया है। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ राज्य के अन्य विभागों की भी विभिन्न योजनाओं में पी.एफ.एम.एस. के माध्यम से भुगतान किया जा रहा है।