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Special Blast Limited Factory Scandal : मृतकों की संख्या ही नहीं स्टॉक कितना था नहीं जानते अफसर…

Special Blast Limited Factory Scandal :

Special Blast Limited Factory Scandal :

रायपुर/नवप्रदेश। Special Blast Limited Factory Scandal : विस्फोटक निर्माण फैक्ट्री कांड में नया मामला सामने आ रहा है। पुलिस और जिला प्रशासन अंदर ही अंदर इस बात से ख़ौफ़ज़दा है।फैक्ट्री में हादसे से पहले और इसके बाद भी विस्फोटक पदार्थों का बेहिसाब ज़खीरा है। खुद प्रशासन भी इस बात से अनजान है कि फैक्ट्री में कितनी शिफ्ट में कितनी संख्या में श्रमिक काम करते थे। हादसे के वक्त भी कितने कुशल और कितने अकुशल श्रमिक वारदात के वक्त थे।

छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के पिरदा गांव स्थित स्पेशल ब्लास्ट लिमिटेड फैक्ट्री में हुए धमाके के 48 घंटे से ज्यादा समय बीत चुका है। यह भी बात सामने आ रही है कि क्या ठेका श्रमिकों के भरोसे ही फैक्ट्री थी ! सबसे बड़े सवाल का जवाब अब भी फैक्ट्री के मलबे में कालकवलित होने वाले मजदूरों की संख्या कितनी है और फैक्ट्री में विस्फोटक पदार्थों की तादात क्या निर्धारित मात्रा से ज्यादा स्टॉक की गई है।

जानकारी के मुताबिक प्लांट पर 1 टन बारूद निर्माण कार्य के दौरान रखना था, लेकिन नियमों को उल्लंघन करके अतिरिक्त बारूद को वहां पर रख दिया जाता था। जहां कांड हुआ वह प्लांट 4 माह पहले शुरू हुआ है और यहां डेटोनेटर में इस्तेमाल होने वाली बारूद की बत्ती बनाई जाती थी।

एक साथ होता धमाका तो पूरा क्षेत्र गड्ढे में समा जाता

फैक्ट्री कांड में एक्सपर्ट्स समेत पुलिस और जिला प्रशासन दोनों ने रहत की सांस ली है। वजह है पिरदा गांव स्थित स्पेशल ब्लास्ट लिमिटेड फैक्ट्री में अगर धमाके के बाद अन्य यूनिट भी चपेट में आ जाती तो पूरा क्षेत्र और आसपास के गांव गड्ढे में समां जाते। बताते हैं कि PETN पेंटाएरीथ्रिटोल टेट्रानाइट्रेट, TNT मतलब ट्रिनिट्रोटोल्यूइन, अमोनियम नाइट्रेट और डाइनामाइट स्टिक जैसे हाई एक्सप्लोजिव का निर्माण होता है। फैक्ट्री में डेटोनेटिंग फ्यूज, कास्ट बूस्टर, थोक इमल्शन और माइनिंग विस्फोटक समेत अन्य विस्फोटक भी तैयार होते हैं जो स्टॉक में भी रखे देखे जा सकते हैं।

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