कोरिया/नवप्रदेश। कोरिया वन मंडल के डीएफ ओ का जंगलों की सुरक्षा के प्रति बड़ी उदासीनता देखी जा रही है। कई वन परिक्षेत्र में पदस्थ गैर जिम्मेदार और लापरवाह कार्यप्रणाली के रेंजरों की बात करें तो इनकी भी आदत सी बन गई है। जंगलों की संवेदनशीलता और जिम्मेदारी पर हर रोज खेलवाड़ करने की।
वहीं सोनहत वन परिक्षेत्र में तैनात रेंजर के दायित्वों की तरफ गौर करें तो जनाब रेंजर साहब हर दिन कार्यालीन समय में भी लोगों से रंगदारी बतियाते रहते (Sonhat) हैं। सभी को जानकर हैरानी होगी की जनाब रेंजर साहब हर दूसरे दिन मुख्यालय छोड़कर अपने निवास दो जिला पार करके अंबिकापुर भी निकल लेते हैं।
जिसके बाद उक्त सोनहत वन परिक्षेत्र में पदस्थ जमीनी स्तर के अन्य कर्मचारी भी अपने रेंजर के नक्शे कदम पर जंगल की जिम्मेदारी छोड़ अन्य कार्यों में और कार्य क्षेत्र से अन्यत्र सक्रिय हो जाते हैं। जिसकी वजह से आज की वर्तमान स्थिति में सोनहत वन परिक्षेत्र का पूरा जंगल राज्य स्तरीय लोद तस्करी का गढ़ बन चुका है।
बता दें की सोनहत क्षेत्र के ऐसे 8 से 10 विचौलियों द्वारा सोनहत रेंज के जंगलों से लोद जो एक प्रकार का जंगली औषधीय वृक्ष होता है जिसकी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बड़ी मांग होती है जिसे इन बिचौलियों द्वारा ग्रामीणों को प्रलोभन देकर महज 6 से 7 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदा जाता हैं
और फि र हर दूसरे दिन मेंड्रा बेलिया और केशगंवा के रास्ते 5 से 7 पिकअप वाहन के माध्यम से सूरजपुर पहुंचाया जाता (Sonhat) है। जिसके भंडारण का सोनहत वन परिक्षेत्र का कच्छाडी,भागवतपुर सहित कई वन ग्राम केंद्र बने हुए हैं।
क्या है लोद और क्यों होती है इसकी तस्करी : लोद एक प्रकार का जंगली औषधीय वृक्ष होता है। लोद वृक्ष का छाल महिलाओं की शारीरिक दुर्बलता और अन्य प्रसव संबंधी सहित असाध्य रोगों को दूर करने में रामबाण औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। लोध्र या लोध एक बहुत ही महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। लोध्र का वानस्पतिक नाम सिम्प्लोकास रेसीमोसा है। यह मुख्य रूप से ब्लीडिंग डिसऑर्डर, दस्त और नेत्र विकारों में उपयोग किया जाता (Sonhat) है।
सोनहत वन परिक्षेत्र से लोद तस्करी पर जो सूत्रों से जानकारी सामने आई है कह सकते हैं कि अब इसका उपयोग अगरबत्ती के बुरादे के लिए भी किया जा रहा है। क्योंकि पहले जंगली वृक्ष मेदा के छाल से अगरबत्ती का बुरादा बनाया जाता था परंतु अब जंगलों में मैदा का पेड़ पूरी तरह खत्म हो चुका है। इसलिए मैदा छाल के व्यापारियों द्वारा लोद की मांग तेज कर दी गई है जिस कारण लोद के छाल की अवैध तस्करी जोरों से की जा रही है।
अनवरत जारी है अवैध गतिविधियां : बता दें की कोरिया वन मंडल के बड़े अफ सरों से लेकर छोटे कर्मचारी तक दायित्व निर्वहन में बड़े लापरवाह देखे जा सकते हैं। इसकी बड़ी वजह है सीसीएफ और पीसीसीएफ जैसे बड़े अधिकारियों की अनदेखी और अंदरूनी संरक्षण
जिसके कारण कोरिया वन मंडल ही नहीं बल्कि पूरा सरगुजा वन वृत्त भ्रष्टाचार और लापरवाही सहित वनों के विनाश का गढ़ बना हुआ है। कोरिया वन मंडल में पदस्थ डीएफ ओ और एसडीओ द्वारा भ्रष्टाचारी रेंजरों और कर्मचारियों को मिली छूट या मनमानी की आजादी समूचे कोरिया के वनों की बरबादी और दोहन का एक मात्र कारण है।